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Kartik Purnima 2021 : कार्तिक पूर्णिमा की 10 शुभ बातें आपके जीवन में उजाला कर देंगी, सरल उपाय पूर्णिमा के

Kartik Purnima 2021 : कार्तिक पूर्णिमा की 10 शुभ बातें आपके जीवन में उजाला कर देंगी, सरल उपाय पूर्णिमा के - Kartik Purnima 2021
Kartik Purnima 2021 : कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूर्वोत्तर भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण भी रहेगा। देव उठनी एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन वे यमुना तट पर स्नान कर दिवाली मानाते हैं। इसीलिए इसे देव दिवाली कहते हैं। इसी दिन संध्याकाल को मत्स्यावतार हुआ था। इस पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है। आओ जानते हैं कि इस दिन कौनसे शुभ कार्य करना चाहिए।
 
 
1. नदी स्नान ( Nadi snana ) : कार्तिक मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। पूर्णिमा के दिन स्नान करना अति उत्तम माना गया है। श्रद्धालु लोग जहां यमुना में स्नान करने पहुंचते हैं वहीं गढ़गंगा, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र तथा पुष्कर आदि तीर्थों में स्नान करने के लिए भी जाते हैं।
 
2. दीपदान ( deepdan ) : इस दिन नदी में दीप प्रवाहित करते हैं या तट पर दीपक जलाते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं। इसीलिए इस दिन दीपदान का बहुत ही महत्व है। नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं और जातक कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है। 
 
3. दीपों से सजाएं घर को ( dipo ki sajaye ): कार्तिक पूर्णिमा को घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण अवश्य बांधे और दीपावली की ही तरह चारों और दीपक जलाएं।
 
4. सत्यनारायण की कथा ( satyanarayan bhagwan ki katha ) : इस दिन खासकर देवी लक्ष्मी और विष्णु की संध्याकाल में पूजा की जाती है और सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने और सुनने से लाभ मिलता है।
5. दान का फल ( dan ka fal ) : इस दिन दानादिका दस यज्ञों के समान फल होता है। इस दिन में दान का भी बहुत ही ज्यदा महत्व होता है। अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें।
 
6. छः तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन ( chhah tapasvinee krtikaon ka poojan ) : इस दिन चन्द्रोदय के समय शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति अनसूया और क्षमा इन छः तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन करें क्योंकि ये स्वामी कार्तिक की माता हैं और कार्तिकेय, खड्गी, वरुण हुताशन और सशूक ये सायंकाल में द्वार के ऊपर शोभित करने योग्य है। अतः इनका धूप-दीप, नैवेद्य द्वारा विधिवत पूजन करने से शौर्य, बल, धैर्य आदि गुणों में वृद्धि होती है। साथ ही धन-धान्य में भी वृद्धि होती है।
 
7. इन देवों की करें आराधना ( kartik purnima 2021 ) : इस दिन भगवान विष्णु के रूप मत्स्य अवतार, शिव के त्रिपुरारी स्वरूप, श्रीकृष्ण, देवी लक्ष्मी और माता तुलसी की आराधना की जाती है। इस दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद व गंगाजल मिलकार चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। कार्तिकी को संध्या के समय त्रिपुरोत्सव करके- 'कीटाः पतंगा मशकाश्च वृक्षे जले स्थले ये विचरन्ति जीवाः, दृष्ट्वा प्रदीपं नहि जन्मभागिनस्ते मुक्तरूपा हि भवति तत्र' से दीपदान करें तो पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता।
 
8. तुलसी पूजा ( Tulsi Puja ) : इस दिन में शालिग्राम के साथ ही तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है। इस कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है। इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ एवं हवन का भी बहुत ही महत्व है। अतः इसमें किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना आदि का अनंत फल होता है। इस दिन तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाएं।
 
9. पूर्णिमा का व्रत ( Purnima ka vrat ) : इस दिन व्रत का भी बहुत ही महत्व है। इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस दिन कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद कार्तिक व्रत पूर्ण होते हैं। साथ ही कार्तिक पूर्णिमा से एक वर्ष तक पूर्णिमा व्रत का संकल्प लेकर प्रत्येक पूर्णिमा को स्नान दान आदि पवित्र कर्मों के साथ श्री सत्यनारायण कथा का श्रवण करने का अनुष्ठान भी प्रारंभ होता है।
 
10. ब्रह्मचर्य का पालन ( brahmacharya ka palan ) : कार्तिक मास वा पूर्णिमा के दिन में इंद्रिय संयम में खासकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इंद्रिय संयम में अन्य बातें जैसे कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें, खाने के प्रति आसक्ति ना रखें, ना अधिक सोएं और ना जागें आदि।