शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. आलेख
  4. Kark Sankranti 2020
Written By

कर्क संक्रांति में क्यों करें सूर्य देवता का पूजन, जानिए क्यों नहीं होते शुभ कार्य

कर्क संक्रांति में क्यों करें सूर्य देवता का पूजन, जानिए क्यों नहीं होते शुभ कार्य - Kark Sankranti 2020
16 जुलाई को कर्क संक्राति है। सूर्य का यह राशि परिवर्तन कर्क संक्रांति के नाम से जाना जाता है। श्रावण मास की कर्क संक्रांति के समय काल में सूर्य को पितरों का अधिपति माना जाता है। इस काल में षोडश कर्म और अन्य मांगलिक कर्मों के अतिरिक्त अन्य कर्म ही मान्य होते हैं। श्रावण मास में विशेष रूप से भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है। इस माह में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से पुण्य फलों में वृ्द्धि होती है।
 
'सावन संक्रांति' अर्थात् 'कर्क संक्रांति' से वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है। देवताओं की रात्रि प्रारंभ हो जाती है और 'चातुर्मास' या 'चौमासा' का भी आरंभ इसी समय से हो जाता है। यह समय व्यवहार की दृष्टि से अत्यधिक संयम का होता है, क्योंकि इसी समय तामसिक प्रवृतियां अधिक सक्रिय होती हैं।


व्यक्ति का हृदय भी गलत मार्ग की ओर अधिक अग्रसर होता है। अत: संयम का पालन करके विचारों में शुद्धता का समावेश करके ही व्यक्ति अपने जीवन को शुद्ध मार्ग पर ले जा सकने में सक्षम हो पाता है।
 
कर्क संक्रांति के पुण्य समय उचित आहार-विहार पर विशेष बल दिया जाता है। इस समय में शहद का प्रयोग विशेष तौर पर करना लाभकारी माना जाता है। दक्षिण अयन की संक्रांति में व्रत, दान कर्म एवं स्नान करने मात्र से ही प्राणी संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है। 
 
कर्क संक्रांति को 'दक्षिणायन' भी कहा जाता है। इस संक्रांति में व्यक्ति को सूर्य स्मरण, आदित्य स्तोत्र एवं सूर्य मंत्र इत्यादि का पाठ व पूजन करना चाहिए, जिससे अभिष्ट फलों की प्राप्ति होती है। संक्रांति में की गई सूर्य उपासना से दोषों का शमन होता है। संक्रांति में भगवान विष्णु का चिंतन-मनन शुभ फल प्रदान करता है। 
 
श्रावण मास में प्रतिदिन 'शिव महापुराण' व 'शिव स्तोस्त्रों' का विधिपूर्वक पाठ करके दूध, गंगाजल, बिल्वपत्र, फल इत्यादि सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही इस मास में ॐ नम: शिवाय: मंत्र का जाप करते हुए शिव पूजन करना लाभकारी रहता है। इस मास के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत, पूजन इत्यादि विधिपूर्वक करने से स्त्रियों के विवाह, संतान व सौभाग्य में वृद्धि होती है।
 
 
इस समय में नकारात्मक शक्तियां प्रभावी होती हैं और अच्छी और शुभ शक्तियां क्षीण हो जाती हैं। यही वजह है कि शुभ कार्यों को करने से बचा जाता है क्योंकि शुभ कार्यों के लिए शुभ ऊर्जा जरूरी है और इस समय जब शुभ ऊर्जा और दैवीय शक्तियां कमजोर रहती हैं तो शुभ कार्यों पर भी गलत असर होता है। 

ये भी पढ़ें
Kajal and Eyeliner Tips : आंखों में काजल और लाइनर लगाने का सही तरीका यहां सीखिए