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जन्मपत्री से जानिए, कितने भाग्यशाली हैं आप?

जन्मपत्री से जानिए, कितने भाग्यशाली हैं आप? - How Lucky You are
हमारे सनातन धर्म में कर्म और भाग्य दोनों ही का विशेष महत्व है। जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्ति के लिए कर्म के साथ-साथ भाग्य का प्रबल होना भी अतिआवश्यक है। कुछ लोग भाग्य और कर्म में से किसी एक की श्रेष्ठता का दावा कर जनमानस में भ्रांति उत्पन्न करते हैं।
 
जीवन में सफलता के लिए कर्म के साथ भाग्य और भाग्य के साथ कर्म दोनों आवश्यक हैं। पाठकों के जीवन में भी यह अनुभव अवश्य ही आया होगा कि किसी व्यक्ति को अथक परिश्रम के पश्चात भी यथोचित सफलता प्राप्त नहीं होती, वहीं किसी को अपेक्षाकृत कम परिश्रम से भी लाभ हो जाया करता है।
 
आइए, जानते हैं कि जातक जन्म पत्रिका के आधार पर अपने भाग्यशाली होने का पता कैसे लगा सकते हैं?
 
कौन होते हैं भाग्यशाली?
 
जन्म पत्रिका के नवम भाव को भाग्यभाव कहा जाता है। पंचम से पंचम एवं त्रिकोण होने के कारण इसकी शुभता और भी बढ़ जाती है।
 
नवम भाव के अधिपति अर्थात नवमेश को भाग्येश कहते हैं। किसी व्यक्ति के भाग्यशाली होने के लिए इन दोनों का शुभ एवं प्रबल होना अतिआवश्यक होता है। यदि किसी जातक की जन्म पत्रिका में नवमेश शुभ भावों में स्थित हो या शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तथा नवम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो व नवम भाव में कोई शुभ ग्रह स्थित हो तो ये ग्रह स्थितियां जातक को भाग्यशाली बनाती हैं। ऐसे जातक को भाग्य का सदैव साथ प्राप्त होता है।
 
इसके विपरीत यदि नवमेश अशुभ भावों में स्थित हो या नवमेश पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव या युति हो तथा नवम भाव पर किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव हो, तो ऐसे जातक को भाग्य का सहयोग प्राप्त नहीं होता है। ऐसी ग्रह स्थिति में नवमेश का रत्न धारण कर एवं नवम भाव पर पड़ रहे अशुभ प्रभाव की शांति करवाकर इन दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है किंतु रत्न धारण से पूर्व किसी दैवज्ञ से जन्म पत्रिका का परीक्षण करवाकर परामर्श लेना लाभकारी रहता है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
सम्पर्क: [email protected]
 
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