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हल छठ 9 अगस्त को, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त, विधि एवं विशेषता

हल छठ 9 अगस्त को, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त, विधि एवं विशेषता - Hal Shashthi date n muhurat
Hal Shashthi Vrat 2020
 
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलछठ पर्व यानी भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 9 अगस्‍त 2020, रविवार को मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति अथवा अपनी संतान की रक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं। 
 
इसी दिन श्री बलरामजी का जन्म हुआ था। श्री बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। उन्हीं के नाम पर इस पर्व का नाम 'हल षष्ठी' पड़ा। भारत के कुछ पूर्वी हिस्सों में इसे 'ललई छठ' भी कहा जाता है। इस पर्व को चंद्रषष्ठी, बलदेव छठ, रंधन षष्ठी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। 
 
हलछठ व्रत-पूजन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा :- 
 
षष्ठी का पर्व 9 अगस्त 2020, रविवार को सुबह 4.18 मिनट से प्रारंभ होगा तथा 10 अगस्त 2020, सोमवार की सुबह 6.42 मिनट तक यह तिथि रहेगी।
 
आइए जानें कैसे करें हलछठ व्रत -  
 
* प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
 
* पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर गोबर लाएं।
 
* इसके बाद पृथ्वी को लीपकर एक छोटा-सा तालाब बनाएं।
 
* इस तालाब में झरबेरी, ताश तथा पलाश की एक-एक शाखा बांधकर बनाई गई 'हरछठ' को गाड़ दें।
 
* पश्चात इसकी पूजा करें।
 
* पूजा में सतनाजा (चना, जौ, गेहूं, धान, अरहर, मक्का तथा मूंग) चढ़ाने के बाद धूल, हरी कजरियां, होली की राख, होली पर भुने हुए चने के होरहा तथा जौ की बालें चढ़ाएं।
 
* हरछठ के समीप ही कोई आभूषण तथा हल्दी से रंगा कपड़ा भी रखें।
 
* पूजन करने के बाद भैंस के दूध से बने मक्खन द्वारा हवन करें।
 
* पश्चात कथा कहें अथवा सुनें।
 
अंत में निम्न मंत्र से प्रार्थना करें : -
 
गंगाद्वारे कुशावर्ते विल्वके नीलेपर्वते।
स्नात्वा कनखले देवि हरं लब्धवती पतिम्‌॥
ललिते सुभगे देवि-सुखसौभाग्य दायिनि।
अनन्तं देहि सौभाग्यं मह्यं, तुभ्यं नमो नमः॥
 
- अर्थात् हे देवी! आपने गंगा द्वार, कुशावर्त, विल्वक, नील पर्वत और कनखल तीर्थ में स्नान करके भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त किया है। सुख और सौभाग्य देने वाली ललिता देवी आपको बारम्बार नमस्कार है, आप मुझे अचल सुहाग दीजिए।
 
हल छठ व्रत की विशेषता
 
* इस दिन हल पूजा का विशेष महत्व है।
 
* इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन करना वर्जित माना गया है।
 
* इस दिन हल जुता हुआ अन्न तथा फल खाने का विशेष माहात्म्य है।
 
* इस दिन महुए की दातुन करना चाहिए।
 
* यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिए।

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