गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. आलेख
  4. eclipse 2018 temple door close on this time

ग्रहण के दौरान क्यों रखते हैं मंदिर बंद, जानिए कारण

ग्रहण के दौरान क्यों रखते हैं मंदिर बंद, जानिए कारण - eclipse 2018 temple door close on this time
सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण से तो आप सभी भलीभांति परिचित हैं। ग्रहण किस प्रकार लगता है यह बताकर आपकी विद्वत्ता को कम करके आंकने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं है। यहां हमारा उद्देश्य केवल ग्रहण से जुड़ी कुछ रूढ़ियों के बारे में चर्चा करना है।
 
ग्रहणकाल के दौरान सूतक के नाम पर अक्सर मन्दिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। जनसामान्य का बाहर निकलना और भोजन करना भी शास्त्रों में निषेध माना गया है। ग्रहण समाप्त होने पर अर्थात् मोक्ष होने पर स्नान करने का विधान है। इसमें मूल बात के पीछे तो वैज्ञानिक कारण है शेष उस कारण से होने वाले दुष्प्रभावों को रोकने के उद्देश्य से बनाए गए देश-काल-परिस्थिति अनुसार नियम। 
 
वैज्ञानिक कारण तो स्थिर होते हैं लेकिन देश-काल-परिस्थिति अनुसार बनाए गए नियमों को हमें वर्तमान समयानुसार अद्यतन (अपडेट) करते रहना आवश्यक होता है तभी वे अधिकांश जनसामान्य द्वारा मान्य होते हैं। किसी भी नियम को स्थापित करने के पीछे दो बातें मुख्य रूप से प्रभावी होती हैं, पहली-भय और दूसरी-लालच। इन दो बातों को विधिवत् प्रचारित कर आप किसी भी नियम को समाज में स्थापित कर सकते हैं।
 
धर्म में इन दोनों बातों का समावेश होता है। अतः हमारे समाज के तत्कालीन् नीति-निर्धारकों ने वैज्ञानिक कारणों से होने वाले दुष्प्रभावों को रोकने लिए अधिकतर धर्म का सहारा लिया। जिससे यह दुष्प्रभाव जनसामान्य को प्रभावित ना कर सकें किन्तु वर्तमान सूचना और प्रौद्योगिकी के युग में जब हम विज्ञान से भलीभांति परिचित हैं तब भी इन नियमों के पालन हेतु धर्म का सहारा लेकर आसानी से ग्राह्य ना हो सकने वाली बेतुकी दलीलें देना अनुचित है। 
 
आज की युवा पीढ़ी ऐसे नियमों को स्वीकार करने से झिझकती है। आज की पीढ़ी को तो सीधे-सीधे यह बताना अधिक कारगर होगा कि ग्रहण के दौरान चन्द्र व सूर्य से कुछ ऐसी किरणें उत्सर्जित होती हैं जिनके सम्पर्क में आ जाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यदि ना चाहते हुए भी इन किरणों से सम्पर्क हो जाए तो स्नान करके इनके दुष्प्रभाव को समाप्त कर देना चाहिए।
 
मन्दिरों के पट बन्द करने के पीछे भी मुख्य उद्देश्य यही है क्योंकि जनमानस में नियमित मन्दिर जाने को लेकर एक प्रकार का नियम व श्रद्धा का भाव होता है। अतः जिन श्रद्धालुओं का नियमित मन्दिर जाने का नियम है उन्हें ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए मन्दिरों के पट बन्द कर दिए जाते हैं।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: [email protected]
ये भी पढ़ें
अमावस्या के दिन आ रहा है 2018 का पहला सूर्यग्रहण