मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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Written By Author पं. प्रणयन एम. पाठक

कुंडली के ग्रहों से जानें किस देवता की आराधना होगी शुभ

कुंडली के ग्रहों से जानें किस देवता की आराधना होगी शुभ - dev aradhna astro
जन्म कुंडली द्वारा लग्न पंचम, नवम स्थान में जिन ग्रहों का प्रभाव हो उन ग्रहों के बल अनुसार साधक को उन देवताओं की साधना करना चाहिए- 



 
भाग- 1
 
1. सूर्य- विष्णु, शिव, दुर्गा, ज्वालादेवी, ज्वालामालिनी, गायत्री, आदित्य, स्वर्णाकर्षण, भैरव की उपासना करें।
2. सूर्य शनि, सूर्य राहु- महाकाली, तारा, शरभराज, नीलकंठ, यम, उग्रभैरव, कालभैरव, श्मशान भैरव की पूजा करें।
3. सूर्य बुध, सूर्य मंगल- गायत्री, सरस्वती, दुर्गा उपासना।
4. सूर्य शुक्र- वासुदेव, मातडंगी, तारा, कुबेर, भैरवी, श्रीविद्या की उपासना करें। 
5. सूर्य केतु- छिन्नमस्ता, आशुतोष शिव, अघोर शिव।
6. सूर्य शनि राहु- पशुपतास्त्र तंत्र, मंत्र मरणादि षट्कर्म से व्यक्ति अधिकतर पीड़ित होगा। रक्षा के लिए काली, तारा, प्रत्यंगिरा, जातवेद दुर्गा की उपासना करें।
 
 
 
 

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7. सूर्य, गुरु, राहु- बगलामुखी, बगलाचामुंडा, उचिष्ट गणपति, वीरभद्र। केवल बगलामुखी उपासना से सिद्धि मिले, परंतु या तो सिद्धि दूसरों के लिए नष्ट होगी या देवी नाराज होकर वापस ले लेंगी।
8. चन्द्रमा- लक्ष्मी, श्रीविद्या षोडशी, यक्षिणी, वशीकरणादि प्रयोग शिव, कामेश्वर उपासना शुभ रहे।
9. चन्द्र, मंगल- हनुमान उच्छिष्ट चांडालिनी, मातंगी, शबरी, नरसिंह, वनदुर्गा, भैरवी उपासना शुभ रहे।
10. चन्द्र, बुध- बगला, कर्णपिशाची, उच्छिष्ट चांडालिनी नरसिंह, सरस्वती, वैष्णवी, वाराही, हयग्रीव, दुर्गा उपासना शुभ रहे।
11. चन्द्र, गुरु- बगलामुखी, भुवनेश्वरी, लक्ष्मी पितृ, कुबेर, ब्राह्म, शिव, कृष्ण, राम, दत्तात्रेय, अजपाजप, सोह साधना करें। 
12. चन्द्र, शुक्र- कृष्ण, लक्ष्मी, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, शाकंभरी, यक्षिणी, वामन, दत्तात्रेतांत्रिक उपासनाएं।
 
 
 
 

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13. चन्द्र शनि, दुर्गा तंत्र- मंत्र सिद्धि, यक्षिणी, पिशाची, भैरव, काली, तारा, उपासना करें।
14. चन्द्र राहु- भैरवी, काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, वाराही, उग्रचंडा, गणेश, विघ्नेश, हयग्रीव, शिव मृत्युञ्जय उपासना करें 
15. चन्द्र, केतु- हनुमान, स्वामी कार्तिकेय, छिन्नमस्ता, भैरव, उच्छिष्ट गणेश, वासुदेव, विष्णु, गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करें।
16. मंगल- हनुमान, भैरव, वीरभद्र, स्वामी कार्तिकेय, दुर्गा उपासना करें।
17. मंगल, बुध- बगलामुखी, भैरवी, नारसिंही, ब्राह्मी आदि अष्टमातृका, दुर्गा, सरस्वती, कृष्ण, गणपति, उपासना श्रेष्ठ रहे। 
18. मंगल, गुरु- हनुमान, गायत्री, विष्णु, शिव, पितृ, यक्ष, कुबेर भिन्नपाद नेत्रों की उपासना शुभ रहे। संतान चिंता हेतु षष्ठी देवी का पाठ करें।
 
 
 
 

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19. मंगल, शुक्र- वामन, लक्ष्मी, कामेश्वरी, ललिता, भुवनेश्वरी, कामाख्या, दुर्गा, अष्टभैरव, कृष्ण उपासना शुभ रहे।
20. मंगल, शनि- काली, तारा, श्मशान साधना, शरभ, भैरव, मंगल चंडिका, उग्रदेवता की उपासना करें।
21. मंगल, राहु- निम्न श्रेणी की उपासना, भैरव, छिन्नमस्ता, धूमावती, नीलतारा की उपासना करें।
22. मंगल, केतु- वाराही, दुर्गा, शिव, विष्णु, गणेश, हनुमान व भैरव की उपासना शुभ रहे। 
23. बुध- गणेश, दुर्गा, विष्णु, सरस्वती, गंधर्व उपासना शुभ रहे।
24. बुध, गुरु- बगलामुखी, सरस्वती, गायत्री, विष्णु उपासना शुभ रहे।
25. बुध, शुक्र- कामाख्या, कामेश्वरी, लक्ष्मी, भैरवी, मातंगी, भुवनेश्वरी, कृष्ण उपासना शुभ रहे।
 
 
 

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26. बुध, शनि- राम, शिव, हनुमान, उच्छिष्ट गणपति, यक्षिणी सिद्धि उपासना करें।
27. बुध, राहु- पिशाची विद्या, गारूड़ी विद्या, धूमावती विघ्नेश गणपति व आशुतोष शिव की उपासना करें।
28. बुध, केतु- मृत्युञ्जय शिव, गणेश, कार्तिकेय, हनुमान, भैरव, दुर्गा उपासना करें।
29. गुरु- विष्णु, शिव याज्ञिक कर्म बगलामुखी उपासना करें। यदि कुंडली में 6, 8,12वें स्थान में हो तो बगलामुखी उपासना में विलंब से लाभ होए, गुरु राहु, गुरु शनि योग से भी विलंब से लाभ होए, सिद्धि प्राप्त होए किंतु पुनः क्षय हो जाए। गायत्री उपासना अवश्य करें।
30. गुरु- शुक्र, गुरु शनि, गुरु मंगल, गुरु राहु, गुरु केतु योग से साधना में विलंब आते हैं या सिद्धि विलंब से होती है जिससे साधना में श्रद्धा-अश्रद्धा पैदा हो जाती है अतः गुरु का उपयोग करें।
31. शुक्र- लक्ष्मी, तंत्र-मंत्र मार्ग का ज्ञाता होए। शिव, मृत्युञ्जय श्री विद्या, त्रिपुर सुंदरी, दुर्गा उपासना, हेरंब, गणपति, मातंगी, शाकंभरी, शबरी उपासना शुभ रहे। शुक्र-शनि, शुक्र-राहु, शुक्र-केतु, योग से क्षुद्र सिद्धि की ओर साधक का मन दौड़ता है।
 
 

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32. शनि- शनि उपासना से पूर्व पापों का क्षय होता है। दुर्गा, काली, तारा, आसुरी दुर्गा व भैरवादि की उपासना करता है।
33. शनि- राहु, शनि, केतु आदि के कारण भी मानसिक यातनाएं प्राप्त होती हैं अतः शत्रुओं को दंड देने हेतु उग्र साधनाएं करता है। 
34. कभी-कभी धूमावती की उपासना से भी ऐसे पापों व विघ्नों का निवारण होता है, परंतु धूमावती उपासना आसान नहीं है। सोच-समझकर ही करें, क्योंकि धूमावती विघ्नों की अधिष्ठात्री हैं, अमंगलयुक्ता हैं, अतः आह्वान घर में न करें।