मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Written By WD

ब्रह्म मुद्रा

Brahma Mudra Yoga | Brahma Mudra Vedio | Brahma Mudra Pose | ब्रह्म मुद्रा
ब्रह्मा के चार मुख थे, और हम इस आसन में अपनी गर्दन को चारों तरफ से ले जाते है। अत: इसे ब्रह्मा मुद्रा आसन कहा जाता है, लेकिन इसे ब्रह्म मुद्रा आसन के नाम से जाना जाता है, जबकि ब्रह्म नाम वेदों में ईश्‍वर के लिए प्रयुक्त हुआ है।

विधि : जिस आसन में सुख का अनुभव हो वैसा आसन चुनकर (पद्मासन, सिद्धासन, वज्रासन) कमर तथा गर्दन को सीधा रखते हुए धीरे-धीरे दायीं तरफ ले जाते है। कुछ सेकंड दायीं ओर रुकते है, उसके बाद गर्दन को धीरे-धीरे बायीं ओर ले जाते है। कुछ सेकंड तक बायीं ओर रुककर फिर दायीं ओर ले जाते है, फिर वापस आने के बाद गर्दन को ऊपर की ओर ले जाते हैं, उसके बाद नीचे की तरफ ले जाते हैं। इस तरह यह एक चक्र पूरा हुआ। अपनी सुविधानुसार इसे चार से पाँच चक्रों में कर सकते है।

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सावधानी: ब्रह्म मुद्रा का अभ्यास करते समय यह ध्यान रखना चाहिए क‍ि मेरूदंड पूर्ण रूप से सीधी हो। जिस गति से हम गर्दन को दायीं या बायीं ओर ले जाते हैं उसी गति से धीरे-धीरे वापस आएँ तथा ठोडी को कंधे की ओर दबाएँ।

जिन्हें सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस या थाइराइड की समस्या है वे ठोडी को ऊपर की ओर दबाएँ। गर्दन को नीचे की ओर ले जाते समय कंधे न झुकाएँ। कमर, गर्दन और कंधे सीधे रखें। गर्दन या गले में कोई गंभीर रोग हो तो योग चिकित्सक की सलाह से ही यह आसन करें।

लाभ : जिन लोगों को सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस, थाइराइड ग्लांट्स की शिकायत है उनके लिए यह आसन लाभदायक है। इससे गर्दन की माँसपेशियाँ लचीली तथा मजबूत होती हैं। आध्यात्मिक ‍दृष्टि से भी यह आसन लाभदायक है।