बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नायिका
  3. आलेख
Written By गायत्री शर्मा

रखें तालमेल घर और बाहर

सुखी जीवन की कुंजी:- समझौता

रखें तालमेल घर और बाहर -
WDWD
आज हम सभी वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की होड़ में लगे हैं।

अच्छी नौकरी, बढि़या आमदनी अब हमारी प्राथमिकता बन गई है। बदलते वक्त के साथ आज हम अपने करियर के‍ प्रति तो गंभीर हुए हैं किंतु अपने परिवार के प्रति नहीं।

वर्तमान परिदृश्य में पहले से सबकुछ बदल गया है। पहले के जमाने में केवल पुरुष नौकरी करते थे और महिलाएँ घर का कामकाज व बच्चों की देखभाल करती थीं। बस ऐसे ही उसकी सारी उम्र गुजर जाती थी।

  कहते हैं विवाह की एक सही उम्र होती है परंतु आज की महात्वाकांक्षी महिलाएँ मानती हैं कि 'पैसा कमाने की भी वही उम्र होती है।' कुछ यही द्वन्द्व आज की युवा महिलाओं के दिलो-दिमाग में दिन-रात चलता रहता है।      
आज की महिलाओं की तरह उसे अपनी पहचान बनाने की कोई चाह नहीं थी। अपने सपनों को पूरा करने की ललक, घर से बाहर निकलकर काम करने का जुनून जैसे उसके स्वभाव में ही नहीं था।

वह तो बस वही काम करती थी जो उसका पति कहता था। पति को परमेश्वर मानकर उसके चरणों में जीवन बिताने वाली भारतीय नारी आज एक नए कलेवर में सामने आई है और उसका वह नया कलेवर है- कामकाजी महिला का।

कहते हैं विवाह की एक सही उम्र होती है परंतु आज की महात्वाकांक्षी महिलाएँ मानती हैं कि 'पैसा कमाने की भी वही उम्र होती है।' कुछ यही द्वन्द्व आज की युवा महिलाओं के दिलो-दिमाग में दिन-रात चलता रहता है।

एक तरफ करियर की चिंता और दूजी तरफ विवाह का दबाव। परिवार का दबाव, आज की युवा लड़कियों को विवाह के लिए राजी तो कर देता है पर मानसिक रूप से वे उसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाती हैं जिससे विवाह के कुछ माह तक तो सबकुछ ठीक-ठाक चलता है किंतु उसके बाद परेशानियाँ दस्तक देने लगती हैं जिससे आए दिन पति-पत्नी में विवाद होते हैं।

एक समझदार पत्नी की चाह हर पति को होती है। इसका यह मतलब नहीं कि महिलाएँ घर में बैठकर पति की सेवा करें। इसका अर्थ तो यह है कि महिलाएँ भले ही काम करें पर काम के तनाव में अपनी जिम्मेदारियों को न भूलें।

कई बार छोटा सा समझौता विवादों के घाव पर मरहम की तरह काम करता है और यदि समझौता किसी अच्छे काम के लिए हो तो उसमें बुराई क्या है? थोड़ा सा तालमेल व अक्लमंदी हमारे करियर व वैवाहिक जीवन दोनों के लिए फायदेमंद हो सकती है। अत: अपने अहम को त्यागकर एक सुखी वैवाहिक जीवन की शुरुआत करें।

* रखें तालमेल घर और बाहर:-
बहुत सी शादीशुदा कामकाजी महिलाएँ अपने वैवाहिक जीवन में खुश नहीं होती हैं। इसका एकमात्र कारण पति-पत्नी में तालमेल का अभाव है।

वैसे भी महिलाओं की महात्वाकांक्षाएँ पुरुषों से अधिक होती हैं और वे किसी भी कीमत पर अपने सपनों से समझौता करना नहीं चाहती हैं। यही कारण है कि वे विवाह उपरांत भी अपने घर-परिवार पर उतना ध्यान नहीं दे पाती हैं जितना कि काम पर। उनकी यही आदत विवादों का कारण बनकर पलभर में उनके खुशहाल वैवाहिक जीवन को नर्क बना देती है।

* दफ्तर के तनाव को घर ना लाएँ :-
तनाव महिलाओं को जैसे विरासत में मिलता है। छोटी सी बात को गंभीरता से लेना, आँसू बहाना, बिना वजह तनाव लेना आदि उनकी फितरत में ही शामिल होता है। इसी वजह से कामकाजी महिलाएँ अक्सर तनावग्रस्त रहती हैं। अपने काम के तनाव की वजह से कई बार वे अपने बच्चों को मारती-पिटती हैं या फिर पति से झगड़ा कर लेती है। इससे उनके सुखी वैवाहिक जीवन में ग्रहण लग जाता है। अत: उनके लिए बेहतर होगा कि वे दफ्तर में काम के समय काम करें व घर पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें।