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Written By गायत्री शर्मा

तुझे मेरी उमर लग जाए

तेरा-मेरा साथ सदा बना रहे

Karva Chouth | तुझे मेरी उमर लग जाए
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मैं सजती हूँ तुम्हारे लिए
करती हूँ दुआ तेरी लंबी उम्र की।
तेरा साथ मिले हर जनम
चाँद को पूजा तुझे पाने के लिए ...

यही दुआ करती है हर सुहागन। सात फेरों के साथ सात जन्मों के लिए अपने पति की जीवनसंगिनी बनने वाली नारी उसकी सलामती के लिए व्रत, उपवास, पूजा-पाठ क्या-क्या नहीं करती।

भारतीय मान्यता में पति को परमेश्वर माना गया है और ताउम्र उसकी सेवा करना पत्नी का धर्म लेकिन अब धीरे-धीरे ये मान्यताएँ पुरानी होती जा रही हैं।

अब पत्नी को पति की 'जीवनसंगिनी' व 'हमसफर' कहा जाने लगा है, जो अपने अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती है।

परंपरा व प्यार को सँजोता 'करवा चौथ' का यह त्योहार दांपत्य जीवन की डोर को प्रगाढ़ बनाता है। यह एक विश्वास जगाता है- एक-दूजे का साथ निभाने का। पति-पत्नी के मधुर संबंधों की यह डोर हमेशा प्यार के सूत्र में बँधी रहे।
भले ही समाज में पुरानी मान्यताएँ बदल गई हैं, परंतु अब तक पति-पत्नी को जोड़े रखने वाली विवाह के सूत्र की पवित्रता नहीं बदली है।

आज भी पत्नियाँ उसी शिद्दत से अपने पति की सलामती के लिए 'करवा चौथ' का व्रत रखती हैं और सांझ ढले घर के दरवाजे पर अपने पति का इंतजार करती हैं।

दुल्हन के वेश में सजी-धजी अपनी जीवनसंगिनी को देखकर पुरुष की आँखों में भी अपने विवाह की यादें ताजा हो जाती हैं और इन्हीं यादों और प्यार की मिठास के साथ वे जिंदगी की एक नई शुरुआत करते हैं।

पत्नी पूरे दिन निर्जला उपवास करके शाम को दुल्हन की तरह सज-धजकर चाँद की पूजा कर अपने सुहाग की लंबी उम्र की दुआ माँगती है तथा चाँद की पूजा के बाद अन्न-जल ग्रहण करती है।

इस कठोर उपवास के बाद भी नारी के चेहरे की दमक कम नहीं होती। पति का प्रेम चेहरे की चमक बन उसके सौंदर्य में अभिवृद्धि कर देता है।

यही नहीं कुछ पति भी अपनी पत्नी के प्रेम व साथ को हमेशा पाने के लिए करवा चौथ के दिन उसके साथ भूखे-प्यासे रहकर उसका साथ निभाते हैं।

लोगों की दृष्टि में भले ही यह गलत हो पर जब वे एक-दूसरे के जीवनसाथी बन ही गए हैं तो सुख-दु:ख व तकलीफ में एक-दूसरे का हाथ थामने में बुराई ही क्या है?

परंपरा व प्यार को सँजोता 'करवा चौथ' का यह त्योहार दांपत्य जीवन की डोर को प्रगाढ़ बनाता है। यह एक विश्वास जगाता है- एक-दूजे का साथ निभाने का। पति-पत्नी के मधुर संबंधों की यह डोर हमेशा प्यार के सूत्र में बँधी रहे।