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Written By ND

शादी करो, धोखा नहीं

ये रिश्ता चाहे पारदर्शिता

शादी करो, धोखा नहीं -
- अतुल नाडकर्णी

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अनुष्का की शादी हुए मात्र तीन महीने ही बीते थे कि अचानक एक दिन उसे घर लौटना पड़ा। कारण जिस लड़के को सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल बताकर अनुष्का की जिंदगी का हिस्सा बनाया गया, वो सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल तो दूर, ग्रेज्युएट भी नहीं था और उसे शराब की लत भी थी।

दरअसल उसके घर वालों ने सोचा था कि लत तो शादी के बाद अपने आप सुधर ही जाएगी (मानो शादी न हो किसी पुनर्वास केंद्र की सदस्यता हो) और जहाँ तक बात डिग्री की थी तो उन्हें लगा कि लड़का कमा तो रहा ही है, फिर डिग्री चाहे कोई भी हो, क्या फर्क पड़ता है?

  लड़के या लड़की के स्वास्थ्य संबंधी विसंगतियों को छुपाकर और यह सोचकर कि हो सकता है शादी के बाद सब ठीक हो जाए, ऐसे झूठ बोल दिए जाते हैं। ध्यान रखिए शादी कोई चमत्कार या औषधि नहीं, जो स्वास्थ्य संबंधी विसंगतियों को दूर कर दे।      
अनुष्का को शादी के दूसरे ही दिन पति की लत का और तीसरे दिन उसकी झूठी डिग्री का पता चल गया। उसके साथ उसके सारे परिवार की खुशियों को ग्रहण लग गया। उसके माता-पिता तुरंत आकर उसे घर ले गए और अब उसे तलाक दिलवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

हो सकता है ये सब बातें फिल्मी लगें, लेकिन ये वर्तमान का कड़वा सच बन चुका है। आज जिस प्रतिशत में विवाह टूट रहे हैं वो दुखद है और चौंकाता है। अनुष्का का केस अकेला नहीं है।

ऐसे कई उदाहरण आपको आस-पास मिल जाएँगे, जहाँ धोखे और झूठ की बुनियाद पर रखी गई रिश्ते की इमारत सच का पता चलते ही भरभरा कर ढह गई। इसके अलावा कई तरह के छोटे-बड़े झूठ शादी तोड़ने का काम कर रहे हैं। आइए इन पर नजर डालते हैं।

* बीमारी के नाम पर :-
लड़के या लड़की के स्वास्थ्य संबंधी विसंगतियों को छुपाकर और यह सोचकर कि हो सकता है शादी के बाद सब ठीक हो जाए, ऐसे झूठ बोल दिए जाते हैं। ध्यान रखिए शादी कोई चमत्कार या औषधि नहीं, जो स्वास्थ्य संबंधी विसंगतियों को दूर कर दे।

अतः यदि ऐसी कोई भी परेशानी हो तो उसे पहले ही स्पष्ट कर दें। यदि इसके बावजूद दोनों परिवार तथा लड़का-लड़की आपसी सहमति से तैयार हों तो ही विवाह के लिए कदम बढ़ाएँ। जरूरी है कि शादी की बात फाइनल होने से पूर्व सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण करवाने में हिचकें नहीं, यह जरूरी प्रक्रिया है।
WDWD
* सामाजिक स्थिति के नाम पर :-
आर्थिक स्थिति, रहन-सहन तथा सामाजिक मेल-जोल के बारे में न तो लंबी हाँकें, न ही कुछ छुपाएँ। इससे बाद में न केवल रिश्तों में कटुता आती है, बल्कि आप झूठ के अपने ही बनाए जाल में फँस भी सकते हैं।

यदि आप साधारण स्टेटस रखते हैं तो उसे छुपाएँ नहीं, सामान्य होना कोई दोष नहीं है। आपके पास जो भी है वो आपका अपना है, यही क्या कम है।

* कमाई और नौकरी :-
इस मामले में शिकायत वर पक्ष की तरफ से ही होती है। लड़के की कमाई के बारे में लड़की तथा उसके परिवार वालों को धोखे में रखना गलत है। भले ही फिर लड़की को ससुराल में प्रेम, सहयोग तथा सुविधाएँ मिलने का आश्वासन हो। लड़का जो भी कमा रहा है, वह उसकी मेहनत का फल है।

इस बात पर उसे व उसके परिवार को गर्व होना चाहिए। इसलिए लड़के या लड़की किसी की भी कमाई के बारे में झूठ न बोलें, न ही उसकी नौकरी के बारे में। आपको खुशी इस बात की होना चाहिए कि आपके बेटे (या बेटी) के पास रोजगार का साधन तो है और वो मेहनत करना जानते हैं।

  झूठ, धोखे और फरेब के साथ तय किए गए रिश्ते जिंदगी भर व्यक्ति को सालते हैं। रिश्तों का टूट जाना इसका अंत नहीं होता, बल्कि छले जाने की यह पीड़ा जिंदगी भर बनी रहती है।      
* शिक्षा :-
यही बात शिक्षा पर भी लागू होती है। सिर्फ बारहवीं पास लड़की को एमए या किसी बीएससी पास लड़के को एमसीए बता देना दोनों पक्षों के साथ नाइंसाफी है। यह बात अच्छे भले रिश्ते में कड़वाहट ला सकती है। बात सिर्फ एक डिग्री की नहीं, सच या झूठ की होती है। इसलिए इस मामले में सतर्क रहें।

* पारिवारिक/ संपत्तिगत झगड़े :-
चाहे आप लाख मानें कि इस बात से घर में आने वाली बहू या होने वाले जमाई का क्या लेना-देना, ये तो हमारा मामला है, लेकिन याद रखिए कि आखिरकार वे आपके परिवार के सदस्य बनने वाले हैं और ये सब उनसे ही छुपाना गलत हो सकता है।

उनका आप पर से विश्वास तो उठेगा ही, मन में भी कड़वाहट भर जाएगी और समय आने पर चाहकर भी वे आपकी मदद नहीं कर पाएँगे, जबकि बात स्पष्ट होने पर हो सकता है आपको उनसे कोई सुझाव या मदद ही मिल जाए।

इन सारे झगड़ों के अलावा और भी कई बातें हैं, जो हमें रिश्ते तय करते समय छोटी या बताने लायक नहीं लगतीं या फिर हम उन्हें जानबूझकर छुपा जाते हैं। यही बातें आगे जाकर मन दुखाती हैं, रिश्तों में दरार पैदा करती हैं और तलाक का कारण बनती हैं। अतः इनसे बचिए।

झूठ, धोखे और फरेब के साथ तय किए गए रिश्ते जिंदगी भर व्यक्ति को सालते हैं। रिश्तों का टूट जाना इसका अंत नहीं होता, बल्कि छले जाने की यह पीड़ा जिंदगी भर बनी रहती है। इसलिए जरूरी है कि रिश्तों की बुनियाद सच और स्पष्टवादिता के साथ रखी जाए, ताकि वाकई ये बंधन उम्र भर के लिए हो सके।