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Written By Naidunia
Last Modified: नीमच , शनिवार, 7 जनवरी 2012 (00:50 IST)

शास्त्रों के संस्कार भूल रहे हैं हम

शास्त्रों के संस्कार भूल रहे हैं हम -
हम भौतिक संसार के आगे शास्त्रों के संस्कार को भूलते जा रहे हैं, जो राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है। मन अशुद्ध हो जाए तो जीवन बिगड़ जाता है। बच्चे माँ-बाप की गलती से बिगड़ते हैं। हम बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार दें तो संतानें राम जैसे मर्यादावान बन सकती हैं।


यह बात स्वर्णकार धर्मशाला में शुक्रवार को संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान संत श्वांसानंद महाराज ने श्रद्धालुओं से कही। संतश्री ने कहा कि बच्चों की प्रथम पाठशाला माता-पिता होते हैं। माता-पिता संस्कारी होंगे तो संतान भी राम जैसी आदर्शवान होंगी। बच्चे श्रवणकुमार बनकर माता-पिता का सम्मान करें। हम अच्छे कर्म करें तो फल भी अच्छा ही मिलेगा। हम गुणों का बखान करते हैं लेकिन अवगुणों को छुपाते हैं जबकि पहले हमें अपने अवगुणों को सुधारना चाहिए। स्वर्णकार समाज द्वारा आयोजित कथा में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु ज्ञान लाभ ले रहे हैं। भागवत कथा में साध्वी अर्पणानंदजी भी उपस्थित थीं। कथा के दौरान महाआरती भी हुई।


भक्ति रस से जीवन सँवर जाता है

ग्राम कानाखेड़ा में भी भागवत कथा आयोजन हो रहा है। कथा कार्यक्रम में गुरुवार को संतश्री रामानंद शास्त्री ने कहा कि भक्ति रस पीने से वर्तमान और भविष्य दोनों सँवर जाते हैं। मानवीय प्रेम ही अमृत होता है। यदि हम धर्म के नाम पर किसी को धोखा देंगे तो स्वयं भी धोखा खाएँगे। संतश्री ने आगे कहा कि भक्त प्रहलाद की भक्ति का संसार में कोई सानी नहीं। प्रहलाद ने अपनी भक्ति से सिद्ध किया कि कण-कण में भगवान व्याप्त हैं। कथा के दौरान हुए भजनों पर श्रद्धालु जमकर झूमे। कथा में भागवताचार्य पं. घीसालाल नागदा नवलपुरा वाले, भँवरमाता मंदिर समिति के प्रहलाद साहू, पं. माँगीलाल नागदा आदि श्रद्धालु उपस्थित थे। कथा में कृष्ण जन्म का प्रसंग के वर्णन में जैसे ही कृष्ण जन्म की बात आई तो पूरा कथा स्थल जय-जयकार से गूँज उठा। कृष्ण जन्म की जीवंत झाँकी भी सजाई गई। -निप्र