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Written By Naidunia
Last Modified: खरगोन , गुरुवार, 12 जनवरी 2012 (00:47 IST)

आदर्शों से मिलेगी नई राह

आदर्शों से मिलेगी नई राह -
युवाओं के आदर्श रहे विवेकानंद की जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाते जरूर हैं, परंतु विवेकानंद के चरित्र को लेकर विशेष जानकारी युवाओं के पास नहीं है। हालाँकि पूछे जाने पर अधिकांश युवाओं ने उनके साहित्य को पढ़ने की इच्छा जरूर जताई। और कहा कि उनके आदर्शों से नई राह मिलेगी। साथ ही देश में नैतिक अवमूल्यन, भ्रष्टाचार, अराजकता के साथ बेरोजगारी को सबसे बड़ी समस्या बताकर इसे दूर करने में सहभागी बनने की मंशा भी जाहिर की।


हाँ, बहुत अच्छे थे विवेकानंद

यह विडंबना है कि देश की संस्कृति और इतिहास के पन्नाों पर निर्विवाद छवि बनाने वाले स्वामी विवेकानंद को लेकर आज की नई पीढ़ी के कई युवा दो लाइन नहीं बोल सके। विवेकानंद कौन थे, क्या आपने विवेकानंद को पढ़ा है, युवाओं के लिए विवेकानंद कितने प्रासंगिक हैं? जैसे सवालों पर अधिकांश युवाओं से सिर्फ इतना उत्तर मिला- विवेकानंद...हाँ बहुत अच्छे थे। आधे-अधूरे जवाबों के बीच इतना जरूर दिखा कि वे विवेकानंद के व्यक्तित्व से चाहे बेखबर हों, परंतु बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से खासे आहत हैं।


मिल नहीं रहे सही अवसर

महाविद्यालय के युवा विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें रोजगार के मद्देनजर सही अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। स्थानीय शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के बीकॉम के विद्यार्थी अभिषेक सोनी का मानना है कि भ्रष्टाचार बड़ी समस्या है और वर्तमान राजनीति इसके लिए दोषी है। वे स्वयं चाहते हैं कि बेहतर रोजगार पाने के बाद देश के महानायकों के इतिहास को जानें। श्री सोनी के अनुसार वे भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करना चाहते हैं। इसी महाविद्यालय की बीएससी की छात्रा रानू यादव ने कहा कि टेलीविजन द्वारा अत्याधुनिक संस्कृति के नाम पर परोसे जाने वाले कार्यक्रम महानगरों की देन है। इस दिशा में रोक लगना चाहिए। युवा यदि इस दिशा में पहल करें तो कार्यक्रमों की टीआरपी अपने आप गिर जाएगी।


अनुशासन ही सबसे ऊपर

उधर उत्कृष्ट विद्यालय के कक्षा 12वीं के छात्र चेतन पाटीदार ने कहा कि विवेकानंद के साहित्य को अनिवार्य पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। संस्कृति को जीवित रखने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाना चाहिए। रोजगार के अवसर पैदा कर इन समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। इसी विद्यालय की कक्षा 12वीं छात्रा अंतिमबाला कर्मा ने कहा कि वे हमेशा अनुशासन में रहना पसंद करती हैं।


जिज्ञासा कोलकाता ले गई

सहायक शिक्षक निरंजनस्वरूप गुप्ता का कहना है कि वे विवेकानंद का साहित्य पढ़ इतने प्रभावित हुए कि जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए कोलकाता आश्रम तक पहुँचे। उनका प्रयास रहता है कि व्यक्तिगत जीवन को संस्कारित बना लिया जाए तो बेहतर समाज का निर्माण हो सकता है। वे अध्यापन के दौरान पाठ्यक्रम के अतिरिक्त विवेकानंद जैसे महापुरुषों से बच्चों को परिचित कराते हैं। जनपद पंचायत में पदस्थ आरती जोगे ने कहा कि विवेकानंद के विराट व्यक्तित्व का अपने देश में जन्म लेना हमारे लिए गौरव की बात है। सुश्री जोगे बताती हैं कि अपनी सेवाओं के दौरान जरूरतमंद व निर्धन लोगों को ईमानदारी से मार्गदर्शन देकर मदद करती है। वे मानती हैं कि यही देश सेवा है। -निप्र