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Written By Naidunia
Last Modified: खरगोन , शनिवार, 8 अक्टूबर 2011 (23:12 IST)

अवकाश से अलसाया बाजार

अवकाश से अलसाया बाजार -
त्योहारी अवकाश के कारण चार दिन बाद खुली कपास मंडी में आवक अपेक्षा से कम रही। इसका प्रमुख कारण त्योहारों के दौर में मजदूरों की कमी और भाव अपेक्षानुरूप नहीं मिलना भी है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूई की माँग कम होने से व्यापारियों में भी खरीदी को लेकर उत्साह कम ही देखा गया। यह कहा जा सकता है कि कारोबार अलसाया-सा नजर आया। इस बीच मंडी में कपास से लदी पहुँची लगभग 300 बैलगाड़ियों और 230 वाहनों की नीलामी हुई। भाव 3 हजार से 4500 रुपए तक रहा।


नवरात्रि की अष्टमी, नवमी और दशहरा पर्व के चलते 3 अक्टूबर के बाद 8 अक्टूबर को मंडी में नीलामी हुई। शनिवार को आवक कम होने का एक कारण अगले दिन 9 अक्टूबर को रविवार होना भी माना जा रहा है। व्यापारियों व किसानों के अनुसार 10 अक्टूबर से आवक बढ़ेगी। गौरतलब है 3 अक्टूबर को 390 बैलगाड़ी और 345 वाहनों में लदकर कपास नीलामी के लिए पहुँचा था।


भाव कम और खर्च बढ़े

गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष जहाँ भाव में गिरावट आई है, वहीं फसल की लागत बढ़ी है। खर्च बढ़ने के हिसाब से मनचाहा भाव न मिलने से किसान मायूस है। ग्राम कोठा के कृषक कैलाश चौहान ने बताया कि पिछली बार की तुलना में भाव कम मिल रहे हैं। इस बार अधिकतम भाव 4500 रुपए रहे, जबकि गत वर्ष 7 हजार रुपए प्रति क्ंिवटल से भी अधिक पर बिका था।


जहाँ भाव में कमी आई है, वहीं लागत लगभग दुगुनी हो गई। गत वर्ष बिनाई 2 रुपए प्रति किलो थी, जो इस वर्ष 4 रुपए प्रति किलो हो गई। ग्राम खेड़ीखानपुरा के महेश पाटीदार व ग्राम टांडा बरुड़ के कृषक मोहन चंपालाल ने बताया कि लगातार बारिश ने जहाँ फसल को प्रभावित किया है, वहीं त्योहारों के कारण मजदूर नहीं मिल पाए। इस कारण कपास खेतों से घर तक नहीं पहुँच सका।


बढ़ सकती है आवक

मंडी प्रबंधन की मानें तो किसान इन दिनों त्योहारों में व्यस्त हैं। इस कारण आवक प्रभावित हुई है। आगामी दिनों में आवक बढ़ने के आसार हैं। भाव को लेकर व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की माँग कम है। परिस्थितियाँ बदलने पर किसानों को बेहतर भाव मिल सकता है।