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Written By Naidunia
Last Modified: खरगोन , गुरुवार, 12 जनवरी 2012 (00:48 IST)

आगे घोषणा, पीछे दुर्दशा

आगे घोषणा, पीछे दुर्दशा -
मुख्यमंत्री जहाँ एक ओर नई-नई घोषणाएँ कर तालियाँ बटोर रहे हैं, वहीं उन घोषणाओं पर सही तरीके से अमल नहीं हो पा रहा है। हाल ही में उन्होंने कसरावद प्रवास के दौरान वहाँ आईटीआई प्रारंभ करने की घोषणा की है। पिछले वर्ष भी आदिवासी बहुल इलाकों में आईटीआई खोलने की घोषणा उन्होंने की थी। संस्थाएँ खुली भी, परंतु बुनियादी सुविधाओं के अभाव में मात्र औपचारिक बनकर रह गईं। एक बार फिर नए स्थान पर ऐसी संस्था खोलने की घोषणा के बाद उसके क्रियान्वयन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।


भगवानपुरा विकासखंड में आए मुख्यमंत्री ने आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के क्षेत्रों से जोड़ने के लिए भगवानपुरा व झिरन्या में आईटीआई खोलने की घोषणा की थी। इस सत्र से इन दोनों पर दो कोर्स संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन इनमें बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इसका खामियाजा विद्यार्थी भुगत रहे हैं।


न पानी है न बिजली

आईटीआई में मुख्य रूप से प्रयोग के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती है। इस सत्र से प्रारंभ किए गए भगवानपुरा व झिरन्या आईटीआई में बिजली कनेक्शन नहीं होने से प्रायोगिक कक्षाएँ नहीं लग पा रही हैं। प्रायोगिक सामग्री भी बिजली के अभाव में हाथी के दाँत की तरह साबित हो रही हैं। झिरन्या में बस स्टैंड क्षेत्र स्थित स्कूल भवन में आईटीआई का संचालन किया जा रहा है। वहाँ गंदगी फैली हुई है। छात्र-छात्राओं के लिए पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है। और तो और यहाँ सुविधाघर तक भी नहीं है।


नहीं है प्रशिक्षक

भगवानपुरा में दो संकायों में 42 छात्र-छात्राएँ हैं। इसी प्रकार झिरन्या में भी दो संकायों में 36 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं। इन दोनों स्थानों पर केवल दो-दो प्रशिक्षक ही उपलब्ध हैं, जिन्हें पाठ्यक्रम पूरा कराना है। भगवानपुरा आईटीआई के अधीक्षक आशाराम मंडलोई ने बताया कि नए भवन निर्माण के लिए ग्राम चरीपुरा में जमीन का चयन कर प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है। इधर झिरन्या आईटीआई प्रभारी कैलाश पटेल ने बताया कि नए भवन के लिए जमीन देखी जा रही है। इसके बाद प्रस्ताव भेजा जाएगा। -निप्र