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Written By Naidunia
Last Modified: खंडवा , शनिवार, 7 अप्रैल 2012 (00:44 IST)

अनुबंध का विरोध

अनुबंध का विरोध -
नर्मदाजल की निजीकृत जलप्रदाय परियोजना की अव्यावहारिक और तानाशाहीपूर्ण शर्तों के विरुद्घ जनजागृति अभियान छेड़ा जाएगा। इसके लिए जरूरत पड़ी तो शहर बंद और जेल भरो आंदोलन का सहारा लिया जाएगा। नगर निगम एवं जल वितरण करने वाली कंपनी के बीच हुआ अनुबंध जनविरोधी है। इसे तत्काल निरस्त कर जल वितरण का दायित्व नगर निगम निर्वाह करे।


यह निर्णय शुक्रवार को जिला अधिवक्ता संघ के आव्हान पर आयोजित बैठक में लिया गया। बैठक में शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों, संस्थाओं एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा प्रबुद्घजन उपस्थित थे। शहर की पेयजल समस्या के स्थाई समाधान के लिए जन निजी भागीदारी योजनांतर्गत आकार दी जा रही नर्मदाजल योजना की शर्तों को लेकर जनाक्रोश पनपने लगा है। 106.72 करोड़ रुपए की लागत वाली कंपनी को सारे मुनाफे का मालिक बनाना लोगों को रास नहीं आ रहा है।


छोटे एवं मझोले शहरों को अधोसंरचना विकास योजना (यूआईडीएसएसएमटी) के तहत खंडवा शहर को नर्मदाजल योजना के लिए केंद्र सरकार ने 80 प्रतिशत 93.25 करोड़ रुपए तथा प्रदेश सरकार ने 10 प्रतिशत 10.36 करोड़ रुपए अनुदान दिया है। इसमें 10 प्रतिशत राशि नगर निगम को लगाना था लेकिन योजना को जन निजी भागीदारी में शामिल करने से यह निवेश विश्वा कंपनी कर रही है। इस प्रकार मात्र 10 प्रतिशत की राशि लगाने वाली निजी कंपनी को आगामी 23 वर्षों का तक योजना का संचालन और कर वसूली का अधिकार व्यवहारिक नहीं है।


नर्मदाजल का प्रदाय करने के लिए विश्वा यूटिलिटीज हैदराबाद एवं नगर निगम के बीच हुए अनुबंध के शेड्यूल एक्स में दी गई शर्तें सामने आने के बाद शहरवासियों में योजना को लेकर खलबली बच गई है। इन शर्तों को शहर एक निजी कंपनी के पास 23 वर्षों तक गिरवी रखने जैसी करार देकर इन्हें मूलभूत अधिकारों के विपरित बताया जा रहा है। शर्तों से कंपनी तानाशाह की तरह उपभोक्ताओं का शोषण करने के आरोप सामने आ रहे हैं।


पेयजल वितरण के लिए जन निजी भागीदारी के तहत कदम उठाने वाला खंडवा देश का पहला शहर हो जाएगा। यहाँ उपभोक्ताओं को कंपनी के अलावा अन्य किसी भी जलस्रोत से प्यास बुझाने की अनुमति नहीं होगी। शहर में किसी भी सार्वजनिक प्रायोजन या गरीबों के लिए निःशुल्क जल वितरण की कोई व्यवस्था नहीं रहेगी। लोगों को मीटर रिडिंग के आधार पर पेयजल का भुगतान करना होगा। किन्हीं तकनीकी कारणों से जल वितरण में व्यवधान आने पर उपभोक्ता को स्वयं पेयजल की व्यवस्था करना होगा। कंपनी की सेवा या सुविधाओं को न्यायालय में चुनौती का अधिकार भी उपभोक्ता को नहीं होगा।


वर्तमान में नगर निगम के वैध कनेक्शनधारी उपभोक्ताओं को भी फिर से कनेक्शन लेना होगा। इसके लिए कंपनी द्वारा स्वीकृत पाइप लाइन एवं सामग्री का उपयोग करने की बाध्यता होगी। जल उपयोग की श्रेणी के आधार पर कंपनी के प्रावधानों के तहत नल संयोजन लेना पड़ेगा।


भाजपाइयों ने बनाई दूरी

शहरवासियों के जहन में उठने वाले सवालों एवं चिंताओं को देखते हुए जिला अधिवक्ता संघ ने शुक्रवार को बार रूम में शहर की सभी सामाजिक संस्थाओं एवं गणमान्यजनों की बैठक आयोजित कर विचार-विमर्श किया गया। इसमें नगर निगम आयुक्त, विश्वा कंपनी के अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन कांग्रेस के पदाधिकारियों एवं कुछ पार्षदों के अलावा अन्य जनप्रतिनिधि या सत्तासीन भाजपा का कोई नुमाइंदा बैठक में नहीं पहुँचा।


आंदोलन से लाएँगे जागृति

बार रूम में सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक में जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों, सामाजिक संस्था मंथन के पदाधिकारियों एवं गणमान्यजनों ने अपने विचार रखे। इस मौके पर उपस्थित लोगों को नर्मदाजल परियोजना से संबंधित 11 बिन्दूओं पर अभिमत के साथ एक पर्चा भी भरवाया गया। सभी वक्ताओं ने जिला अधिवक्ता संघ की इस पहल की प्रशंसा करते हुए इसे शहरहित एवं जनहित में उठाया जाने वाला कदम निरूपित किया गया। लगभग 4 घंटे चली बैठक में सामने आए विचारों के आधार पर एक संघर्ष समिति गठित करने और चरणबद्घ आंदोलन के सहारे जनजागृति का निर्णय लिया गया। -निप्र