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Written By Naidunia
Last Modified: खंडवा , मंगलवार, 3 अप्रैल 2012 (00:45 IST)

ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अब केवल जल और बेलपत्र चढ़ेंगे

ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अब केवल जल और बेलपत्र चढ़ेंगे -
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अब श्रद्धालु केवल जल और बेलपत्र भी चढ़ा सकेंगे। ज्योतिर्लिंग के क्षरण की आशंका को देखते हुए मंदिर प्रबंध समित ने यहाँ पूजा सामग्री चढ़ाने पर रोक लगा दी है।


मंदिर व्यवस्थापक दुलेसिंह दरबार के मुताबिक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर पूजन सामग्री और पंचामृत चढ़ाने पर रोक के बाद ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। श्रद्धालु यहाँ रसायनयुक्त हल्दी, गुलाल, अबीर, चंदन, कुमकुम, दही, शकर और शहद से ज्योतिर्लिंग का अभिषेक लेप और मालिश करते हैं। इससे ज्योतिर्लिंग में घिसाव और क्षरण हो रहा है। ऐसे में अब पूजन सामग्री को बंद कर सिर्फ जल और बेलपत्र ही चढ़ाने दिए जाएँगे।


कुंड में एकत्रित सामग्री से फैल रही बदबू

श्री दरबार ने बताया कि ममलेश्वर मंदिर में आने एवं जाने का एक ही रास्ता है। श्रद्धालुओं द्वारा पंचामृत सामग्री चढ़ाई जाती है वह एक कुंड में एकत्रित होकर सड़ती रहती है। यह सड़ांध मंदिर में आने वालों के लिए घुटन पैदा करती है। उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग इजाजत दे तो इस पानी को मोटर पंप से पहाड़ी पर छोड़ा जा सकता है। पंडित महेश शर्मा का कहना है कि ओंकारेश्वर मंदिर में पहले से ही पूजन सामग्री बंद है। अब ममलेश्वर मंदिर में यह व्यवस्था लागू की गई है। यह व्यवस्था ठीक है। भगवान पर किसी प्रकार की रासायनिक पदार्थों से पूजा नहीं होनी चाहिए। रोक लगने से इस समस्या का हल नहीं होगा क्योंकि बेलपत्र और जल तो चढ़ेगा ही।


विदित हो कि ओंकारेश्वर स्थित ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर केंद्रीय अभिरक्षित ममलेश्वर मंदिर के नाम से दर्ज एवं इसकी देखरेख की जिम्मेदारी केंद्रीय पुरातत्व विभाग की है। न्यायालय के आदेश के अनुसार ममलेश्वर मंदिर की चढ़ौत्री दुलेसिंह दरबार के परिवार को अलग-अलग वर्षों में लेने की अनुमति दी हुई है। वहीं ममलेश्वर मंदिर के तीनों काल की पूजा अहिल्या परिवार की ओर से ओंकारेश्वर के पंडित जगदीश उपाध्याय द्वारा कराई जाती है।