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Written By Naidunia
Last Modified: होशंगाबाद , शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011 (19:28 IST)

ध्यान नहीं दे रही सरकार, यूरिया पर हाहाकार

ध्यान नहीं दे रही सरकार, यूरिया पर हाहाकार -
जिले में 90 प्रतिशत बोवनी हो चुकी है। गेहूं की फसल भी लहलहाने लगी है। आसमान पर बादलों का डेरा जमा हुआ है। मावठे की वर्षा होने की प्रबल संभावना बनी हुई है। उससे पूर्व किसान गेहूं की फसल में यूरिया डालना चाहता है, लेकिन यूरिया नहीं मिल रहा है। कृषि गोदाम पर यूरिया का स्टाक खत्म हो गया है। स्थानीय गोदाम से 1अक्टूबर से 6 दिसंबर तक 2468 टन यूरिया का वितरण हुआ है। क्षेत्र के किसानों ने इस बार चना कम और गेहूं का रकबा बढ़ा दिया है। इस कारण अभी आधे से अधिक किसान यूरिया से वंचित हैं। अभी ढाई हजार टन से अधिक यूरिया की जरूरत दो दिन में ही है, क्योंकि इस मौसम में शीघ्र ही यूरिया नहीं डाला गया तो उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। किसान खाद की खरीदी के लिए संस्थाओं से लेकर निजी व्यवसायियों के चक्कर काट रहा है। हैरान परेशान किसान तब और मायूस हो जाता है। जब उसे यूरिया की बोरी के साथ अन्य उर्वरक जैसे एनपीके, सल्फर मेग्नीशियम, सल्फेट, जाइम जिंक आदि अनिवार्य करने जबरदस्ती दिया जा रहा है। मजबूरी का मारा किसान नहीं चाहने पर भी इन अतिरिक्त खाद, दवाएं लेने को विवश हो रहा है।


किसानों से भेदभाव

किसानों ने बताया कि पिछले दिनों जो यूरिया की रैक आई तो हरदा- होशंगाबाद के किसानों की उपेक्षा कर पड़ोसी जिला सीहोर के केंद्रों पर भेजी गई वहां पर्याप्त मात्रा में यूरिया पहुंचा है। कृषि विभाग के आला अधिकारियों को यह मालूम था कि कब यूरिया की मांग बढ़ेगी इसके बाद भी व्यवस्था करने में खामी रही है और खामियाजा किसानों को भुगतने को मजबूर होना पड़ रहा है। जब संभागीय मुख्यालय पर यूरिया खाद की किल्लत बनी हुई है तो तहसील स्तर एवं ग्रामीण स्तर पर क्या स्थिति होगी। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। कब रैक आएगी और फिर कब तक सोसायटी में या गोदाम में पहुंचेगा। कुछ कहा नहीं जा सकता अधिकारी वर्ग एक दो रोज में ही रैक आने की बातें कर रहे हैं।


आ रही है रैक

यूरिया की रैक आ रही है। जिससे सभी किसानों को आवश्यकतानुसार उर्वरक मिल जाएगा। अभी समय है। किसान परेशान न हों। एक दो दिन बाद यूरिया खद डाली जा सकती है। -बीएम सहारे, संयुक्त संचालक कृषि नर्मदापुरम


-बलराम शर्मा