मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Written By WD

चमकते कपड़े, महकता ख़ुलूस, पुख़्ता मकाँ

चमकते कपड़े, महकता ख़ुलूस, पुख़्ता मकाँ -
चमकते कपड़े, महकता ख़ुलूस, पुख़्ता मकाँ
हरएक बज़्म में इज़्ज़त हिफ़ाज़तें माँगे। - निदा फ़ाज़ली

नये माहौल की हक़ीक़त इस शे'र में बयान की गई है। अब वो ज़माना नहीं रहा जब आदमी की इज़्ज़त उसकी ख़ूबियों की वजह से होती थी। आज तो हर जगह हर मेहफ़िल में उसकी इज़्ज़त होती है जिसके बदन पर अच्छा-नया लिबास, होंटों पर लच्छेदार ख़ुशामदी बातें और रहने के लिए शानदार बंगला/फ़लैट है।