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Written By भाषा

'खेल रत्न' के लिए घमासान

राहुल द्रविड़ दावेदारों में आगे

''खेल रत्न'' के लिए घमासान -
राहुल द्रविड़ से लेकर कोनेरू हंपी तक के राजीव गाँधी 'खेल रत्न' की दौड़ में शामिल होने से देश के सर्वोच्च खेल सम्मान के लिए इस बार मुकाबला बेहद कड़ा हो गया है।

भारतीय क्रिकेट कप्तान द्रविड़ इस बार मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन खेल संघों के बीच प्रशंसा बटोरने की होड़ ने निश्चित तौर पर पुरस्कार चयन पैनल का सरदर्द बढ़ा दिया है।

द्रविड़ की तरह टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति भी पिछले कुछ वर्षों से इस पुरस्कार ही बाट जोह रहे हैं। इनके अलावा गोल्फर जीव मिल्खासिंह, शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हंपी, महिला मुक्केबाज एमसी मेरीकाम तथा तीन निशानेबाज मानवजीतसिंह, समरेश जंग और गगन नारंग ने मुकाबला बहुकोणीय बना दिया है।

खेल रत्न की दौड़ में आठ खिलाड़ी होने के बावजूद जसपाल राणा का नाम इसमें शामिल न होना खेल विशेषज्ञों को हैरान करता है, लेकिन स्वयं यह निशानेबाज इससे हैरान नहीं हैं। जसपाल ने पिछले साल दोहा एशियाई खेलों में सर्वाधिक तीन स्वर्ण पदक जीते थे।

उन्होंने कहा कि मैं पिछले कई वर्षों से खेल में हूँ और यहाँ की स्थिति को जानता हूँ। मैंने देश के लिए पदक जीते हैं और मुझे गर्व है कि मैंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाया है।

खेल रत्न पुरस्कार जब 1991-92 में शुरू किया गया था, तब एक वर्ष में केवल एक खिलाड़ी को ही यह पुरस्कार देने का फैसला किया गया था। 2002 में हालाँकि के एम. बीनामोल (एथलेटिक्स) और अंजलि भागवत (निशानेबाजी) को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया था।

पुरस्कार समिति इस पहलू पर विचार कर सकती है, लेकिन अभी द्रविड़ और भूपति को इसका मजबूत दावेदार माना जा रहा है। ये दोनों पहले भी इस पुरस्कार की दौड़ में शामिल रहे हैं।

इनकी दावेदारी इसलिए भी मजबूत बनती है कि इससे केवल एक क्रिकेटर (सचिन तेंडुलकर 1997-98) और एक ही टेनिस खिलाड़ी (लिएंडर पेस 1996-97) को खेल रत्न मिला है।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर दिए जाते हैं। अब तक 10 हजार 189 एकदिवसीय और 9366 टेस्ट रन बनाने वाले द्रविड़ ने पिछले साल वनडे में 919 और टेस्ट में 1095 रन बनाए थे। वह पिछली बार भी खेल रत्न की दौड़ में थे, लेकिन तब पंकज आडवाणी इसे हासिल करने में सफल रहे थे।

भूपति तो 1996 से ही ग्रैंड स्लैम की युगल स्पर्धाओं में जीवंत उपस्थिति दर्ज करते रहे हैं। इस बीच डेविस कप में उन्होंने युगल में देश को कई यादगार जीत भी दिलाई। वह अब तक दस ग्रैंडस्लैम खिताब जीत चुके हैं, लेकिन उनके पुराने जोड़ीदार पेस जहाँ खेल रत्न बन गए, वहीं उन्हें अब तक इंतजार है।

भूपति 1999 में इस सम्मान के प्रबल दावेदार थे तब उन्होंने तीन ग्रैंडस्लैम खिताब जीते थे, लेकिन तब धनराज पिल्लै के आगे उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई थी, जबकि 2001 में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को उन पर तरजीह दी गई।

अब तक किसी गोल्फर को यह पुरस्कार नहीं मिला है और जीव मिल्खासिंह पहली बार इसकी दौड़ में हैं। उड़न सिख मिल्खासिंह के पुत्र जीव ने पिछले साल वोल्वो ओपन के अलावा तीन अन्य खिताब जीते थे और वह एशियाई टूर ऑफ मेरिट में चोटी पर रहे थे।

भारतीय गोल्फ यूनियन के सतीश अपराजित ने कहा पिछले साल उन्होंने बेजोड़ प्रदर्शन किया। वह शीर्ष 50 में स्थान बनाने वाले पहले भारतीय गोल्फर बने। उन्होंने देश को गौरवान्वित किया।

ग्रैंडमास्टर हम्पी दोहा एशियाई खेलों में एकल और टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतने के कारण इस दौड़ में शामिल हुई। वह फिडे विश्व रैंकिंग में जुडिथ पोल्गर के बाद दूसरे नंबर की महिला खिलाड़ी हैं।

मेरीकाम ने पिछले वर्ष लगातार तीसरी बार विश्व चैंपियनशिप जीती थी। निशानेबाज समरेश नारंग और मानवजीत एशियाई खेलों में तो खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे, लेकिन उन्होंने अन्य अवसरों जैसे मेलबोर्न राष्ट्रमंडल खेल और आईएसएसएफ विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन किया था।

वैसे पिछले पाँच साल में तीन निशानेबाजों को यह पुरस्कार मिला है और इस लिहाज से इन तीनों की दावेदारी कमजोर पड़ सकती है। अभिनव बिंद्रा, अंजलि भागवत और राज्यवर्धनसिंह राठौड़ इससे पहले खेल रत्न हासिल करने वाले निशानेबाज हैं।