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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) , सोमवार, 16 फ़रवरी 2009 (18:54 IST)

कमजोर टीमों से खेलने का क्या तुक है-गिल

कमजोर टीमों से खेलने का क्या तुक है-गिल -
भारतीय हॉकी टीम भले ही ऑस्ट्रेलिया में प्रांतीय टीमों के खिलाफ धमाकेदार जीत दर्ज कर रही हो लेकिन बर्खास्त भारतीय हॉकी महासंघ के प्रमुख रहे केपीएस गिल का मानना है कि कमजोर टीमों से खेलकर टीम को कोई फायदा नहीं मिलेगा।

गिल ने कहा कमजोर टीमों पर बड़े अंतर से जीत दर्ज करके भी सीनियर टीम को कोई फायदा नहीं होने वाला है। यदि वे सचमुच टीम को एक्सपोजर देना चाहते हैं तो मजबूत टीमों के खिलाफ खेलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चार्ल्सवर्थ ने कहा था कि यदि भारत इन कमजोर प्रांतीय टीमों के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज नहीं करता है तो उन्हें हैरानी होगी। भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथवेल्स और क्वींसलैंड की संयुक्त टीम को 8.1 और 7.0 से हराया।

गिल ने कहा कि पिछले कुछ समय में भारत ने तीन-चार देशों के टूर्नामेंटों में हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन ओलिंपिक और विश्व कप में टीम नहीं चल सकी। गिल ने कहा कि हमने तीन या चार देशों के टूर्नामेंट में हमेशा अच्छा खेला है। मसलन 2004 ओलिंपिक से पहले हमने चार देशों के टूर्नामेंट में जर्मनी को हराया और हॉलैंड के खिलाफ बहुत अच्छा खेले लेकिन एथेंस में सातवें स्थान पर रहे।

उन्होंने देश में आधुनिक अभ्यास केंद्र के अभाव पर भी असंतोष जताया। उन्होंने कहा भारत में आधुनिक अभ्यास सुविधाएँ नहीं हैं। सिर्फ एस्ट्रो टर्फ बिछाने से काम नहीं चलता।

स्पेन के जोस ब्रासा के भारतीय टीम का कोच बनने की संभावना के बारे में गिल ने कहा हर कोच का अपना नजरिया और शैली होती है। कुछ कोच अच्छे हो सकते हैं और कुछ नहीं। उन्होंने कहा लेकिन बेहतर बुनियादी ढाँचे और तकनीकी सुविधाओं की स्पेनिश कोच की माँग जायज है।