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Written By WD

सर्वकालिक महान खिलाड़ी रॉजर फेडरर

Roger Federer Wimbledon records | सर्वकालिक महान खिलाड़ी रॉजर फेडरर
अनवर जे. अशरफ/ए. कुमार
चारों ग्रैंड स्लैम सहित 15 ग्रैंड स्लैम झोली में। छह विम्बलडन, पाँच लगातार अमेरिकी ओपन, तीन लगातार ऑस्ट्रेलियाई ओपन और फ्रेंच ओपन का एक खिताब। लगातार 21 ग्रैंड स्लैम के सेमीफाइनल में और इनमें से 17 के फाइनल में। ग्रास कोर्ट हो या हार्ड कोर्ट या फिर रोलाँ गैरो की लाल मिट्टी, हर जगह फेडरर का झंडा लहरा रहा है।

  अब यह बहस ठंडी पड़ती जा रही है कि रॉजर फेडरर टेनिस के सर्वकालिक महान खिलाड़ी हैं या नहीं। दुनिया इस बात को लगभग मान चुकी है। कदम दर कदम परचम फहराने वाले फेडरर के पास शायद साबित करने के लिए कुछ खास बचा नहीं      
आखिरी दो ग्रैंड स्लैम के फाइनल में उनके सामने इस दौर के एक और बड़े खिलाड़ी रफेल नडाल नहीं थे। नडाल फिट नहीं हैं और कई जगह यह बात भी उठती है कि उनकी गैरमौजूदगी में फेडरर ने रिकॉर्ड बनाए, पर इसके साथ यह बात भी सामने आनी चाहिए कि क्या बड़े खिलाड़ी को फिटनेस का खयाल नहीं रखना चाहिए। क्या एक-दो असंभव शॉट्स खेलने के चक्कर में शरीर को मुश्किल में डालना चाहिए?

पिछले छह साल में टेनिस में रोमांच खोजने वालों को थोड़ी निराशा हाथ लगी होगी लेकिन शायह वे लकी हैं कि उन्हें फेडरर को खेलते हुए देखने का मौका मिला। ऐसा खिलाड़ी, जो अपनी टेनिस खुद तय करता है और सामने वाले के खेल की लहरों में बहता नहीं, टेनिस की स्पीड खुद तय करता है और सामने वाले को अपनी शर्तों पर खेलने के लिए मजबूर करता है।

PTI
फेडरर में यूँ तो बीसियों महानता गिनाई जा सकती हैं, लेकिन उनका सधा हुआ खेल और खेल के दौरान उनका ठंडा दिमाग सबसे अहम है। मुश्किल से मुश्किल मैच में फेडरर अपना आपा नहीं खोते और न ही धैर्य। विम्बलडन का फाइनल भी इसका गवाह है। साढ़े चार घंटे के फाइनल का आखिरी सेट तो अनंतकाल के लिए चलता दिख रहा था। धैर्य की परीक्षा नेट के दोनों पार थी। इस परीक्षा को फेडरर ही पास कर पाए।

77 गेम लंबे वाले इस मैच में फेडरर ने कुल 50 एस जड़कर दिखा दिया कि टेनिस का कोई शॉट उनसे अछूता नहीं है। वैसे भी फेडरर न सिर्फ टेक्स्ट बुक शॉट्स खेलते हैं, बल्कि उन्होंने अपने कई शॉट्स खुद ईजाद किए हैं। फोरहैंड पर नीचे आती गेंद को वे जिस खूबसूरती से तेज़ी से फ्लिक करते हैं, वह बस देखने लायक ही होता है। इसका जवाब नहीं होता। रिटर्न में भी उनका कोई सानी नहीं। सामने वाले खिलाड़ी के बैकहैंड बेसलाइन का एक वर्ग फीट का कोना फेडरर के खाते में अब तक न जाने कितने प्वाइंट जोड़ चुका है। यह वह इलाका होता है, जहाँ सामने वाले खिलाड़ी के लिए पहुँच पाना आसान नहीं होता।

फेडरर एक स्मार्ट टेनिस खिलाड़ी हैं। बल के साथ पूरी बुद्धि लगाते हैं। ऐसे सेटों में जान नहीं झोंकते, जो उनके हाथ से निकल चुके होते हैं, बल्कि अपनी ऊर्जा अगले सेट के लिए बचाकर रखते हैं। अगर जीने-मरने का सवाल न हो, तो असंभव शॉट्स की कोशिश नहीं करते। छह साल से टेनिस खेल रहे फेडरर को कभी गिरते-पड़ते शॉट्स खेलते नहीं देखा गया।

उनका खेल सिर्फ दमखम वाला नहीं, क्लासिक भी है। जैसे कोई पेंटर अपनी बेहतरीन पेंटिंग के लिए रंगों को चुनता है, फेडरर अपने शॉट्स चुनते हैं। फोरहैंड और बैकहैंड में इतना संतुलन हाल के दिनों में किसी टेनिस खिलाड़ी में नहीं देखा गया। वे कभी दोनों हाथ लगाकर शॉट्स में ताकत भरने का काम नहीं करते, बल्कि सीधे हाथ से सधे हुए रिटर्न देते हैं। सामने वाले को लाजवाब कर देते हैं।

1960 और 1970 के दशक में रॉड लेवर को टेनिस खेलते देख चुके लोग शायद फेडरर को उनसे थोड़ा कमजोर आँकते हों, लेकिन तुलना की ही नहीं जा सकती। ठीक उसी तरह, जैसे क्रिकेट में सचिन तेंडुलकर और डॉन ब्रैडमैन की तुलना मुश्किल है। तर्क यह भी दिया जा सकता है कि बाएँ हाथ के ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी लेवर ने तो सिर्फ 11 ग्रैंड स्लैम जीते, जबकि सिर्फ 27 साल में फेडरर 15 जीत चुके हैं।

फेडरर के अंदर अभी काफी टेनिस बाकी है और उन्होंने जिस पीट सैम्प्रास का रिकॉर्ड तोड़ा है, वे खुद मानते हैं कि फेडरर 18-19 ग्रैंड स्लैम से कम पर रुकने वाले नहीं। वैसे लेवर भी फेडरर को महान टेनिस खिलाड़ी बता चुके हैं। ठीक वैसे ही, जैसे कभी डोनाल्ड ब्रैडमैन ने सचिन को ‘अपने जैसा खेलने वाला क्रिकेटर' बताया था। रविवार को फेडरर जब विम्बलडन पर इतिहास रच रहे थे, तो 70 साल के रॉड लेवर भी सेंटर कोर्ट पर मौजूद थे।

फेडरर के खेल की ही तरह उनकी वापसी भी महान है। पिछले साल जब वे विम्बलडन फाइनल में हार गए और उसके बाद पहले नंबर की गद्दी खिसक गई, तो टेनिस के कई जानकार कहने लगे कि किसी औसत खिलाड़ी की तरह फेडरर का युग खत्म हो गया, लेकिन शायद उन्हें नहीं पता था कि यह खिलाड़ी तो किसी और मिट्टी का बना है। यह वापसी करना भी खूब जानता है।

इस साल के शुरू में ऑस्ट्रेलियाई ओपन का खिताब गँवाने के बाद फेडरर ने फ्रेंच ओपन और विम्बलडन में वापसी के साथ खिताब जीता। ये खिताब सिर्फ आलोचकों का मुँह बंद करने के लिए नहीं है, बल्कि दुनिया को एक असंभव खेल का गवाह बनाने के लिए भी है। फेडरर से पहले सिर्फ आंद्रे अगासी ही ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने बार-बार वापसी की और 1995, 1999 और 2003 में पहले नंबर की पदवी हासिल की।

यूँ तो अब फेडरर का हर ख़िताब एक नया रिकॉर्ड बनाएगा लेकिन टेनिस के दीवाने यही चाहेंगे कि वह लंबे वक्त तक इस नायाब खेल को देखते रहें। एक असंभव टेनिस का अंत न हो।