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Written By WD
Last Modified: बुधवार, 8 अक्टूबर 2008 (15:24 IST)

सेंसेक्‍स दस हजार तक जाएगा

सेंसेक्‍स दस हजार तक जाएगा -
कमल शर्मा

भारतीय शेयर बाजार पूरी तरह अमेरिकी शेयर बाजारों के असर में है। जिन लोगों की यह धारणा है कि भारतीय शेयर बाजार पर अमेरिकी प्रभाव नहीं पड़ेगा, वे पूरी तरह गलत हैं।

समूची दुनिया को वैश्विकरण के संदर्भ में देखें तो जो भी घटनाएँ अमेरिका और यूरोप में घटेंगी उनका असर भारतीय बाजार पर बेशक होगा। भारतीय शेयर बाजार में जब बड़ा पैसा विदेशी निवेशकों का लगा हुआ है तो यह कहना गलत है कि अमेरिकी असर यहाँ नहीं हो सकता।

अब तक जिन इक्विटी विश्‍लेषकों ने अमेरिकी असर से इनकार किया है, वे गलत साबित हुए हैं। भारतीय शेयर बाजार के साथ डिकपलिंग की थ्‍योरी चल ही नहीं सकती, क्‍योंकि यहाँ विदेशी निवेशकों की हाजिरी बेहद दमदार है। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स आसमान से 11 हजार अंक के करीब आ गया है और मेरा मानना है कि सेंसेक्‍स 10 हजार अंक तक जाएगा। यह बात वेबदुनिया में मैं अपने स्‍तंभ के तहत भी कई बार कह चुका हूँ।

इस मंदी को रोक पाना इस समय कठिन है। शेयर बाजार का यह इतिहास है कि जितने समय तेजी रहती है, मंदी उससे दोगुने समय तक छाई रहती है। बीएसई सेंसेक्‍स को फिर से नई ऊँचाई तक पहुँचने में करीबन तीन साल लगेंगे। इस बीच आने वाली हर बढ़त पर बिकवाली ही आएगी, जिसका नतीजा यह होगा कि बढ़त स्‍थायी नहीं होगी।

एक समय निवेशक कुछ कमाने के लिए शेयर बाजार में पैसा लगा रहे थे और अब अपना मूलधन पाने की लालसा में हैं। जो निवेशक वेबदुनिया के पाठक हैं, उन्‍हें पता होगा कि हमने कहा था कि शेयर बाजार में लालच डर पर हावी हो चुका है और बाजार का जोरदार पतन होगा। भारतीय शेयर बाजार लंबी अवधि की दृष्टि से बेहतर शेयर बाजार हैं, क्‍योंकि यहाँ रिटर्न दूसरे एशियाई देशों की तुलना में अच्‍छा है। लेकिन एक बात सदैव ध्‍यान रखनी चाहिए कि पेड़ कितना भी लंबा हो जाए, वह आकाश को छू नहीं सकता। यही स्थिति शेयर बाजार के साथ है।

निवेशकों को हालाँकि निराश होने की जरुरत नहीं है, बल्कि धैर्य की जरुरत है। हर अंधेरी रात के बाद उजले दिन का आना तय है। जो निवेशक धैर्य बनाए रखेंगे लक्ष्‍मी उनके ही साथ होगी।