उथल-पुथल से एफडीआई प्रभावित नहीं
एचएसबीसी इंडिया की प्रमुख नैना लाल किदवई ने कहा कि अमेरिकी निवेश बैंक लेहमैन ब्रदर्स होल्डिंग्स को दिवालिया घोषित करने की योजना बनाने पर मजबूर करने वाली वैश्विक वित्तीय उथल-पुथल भारतीय शेयर बाजार को तो प्रभावित करेगी, लेकिन प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रभावित नहीं होगा।किदवई ने कहा कि हम जहाँ प्रभावित हो रहे हैं, वह है विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) का प्रवाह, इसलिए यह मुख्य तौर पर शेयर बाजार की घटना है। एफआईआई के प्रवाह पर निश्चित तौर पर असर हो रहा है और इसलिए शेयर बाजार पर कुछ असर दिख रहा है। लेहमैन ब्रदर्स द्वारा दिवालिया घोषित किए जाने के लिए किए आवेदन से जुड़ी खबरों के मद्देनजर बंबई स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क सेंसेक्स सोमवार को 470 अंक गिरकर 13531 के स्तर पर बंद हुआ।किदवई ने फिक्की द्वारा वित्तीय समाविष्टता के बारे में आयोजित गोष्ठी के मौके पर कहा कि हालाँकि एफडीआई प्रवाह अच्छा दिखता है। उन्होंने कहा कि एफडीआई का लेना-देना ज्यादातर इससे है कि कंपनियों का प्रदर्शन कैसा है। फिलहाल एफडीआई प्रवाह अभी भी अच्छा दिख रहा है। यह पूछने पर कि लेहमैन के निवेश वाली कंपनियों पर भी असर होगा, उन्होंने कहा मुझे नहीं लगता कोई ज्यादा असर होगा।भारत की जिन कंपनियों में लेहमैन ने निवेश किया था उनका पिछले कारोबरी दिन के दौरान कुल बाजार मूल्यांकन 40 हजार करोड़ रूपए का था, जिसमें सोमवार को 2 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुआ।सूचीबद्ध कंपनियों के अलावा माना जाता है कि लेहमैन ने भारतीय कंपनियों की विभिन्न परियोजनाओं विशेष तौर पर रीयल इस्टेट क्षेत्र में निवेश किया है।राज्यसभा सदस्य सी. रंगराजन ने कहा कि हालाँकि वैश्विक वित्तीय संकट एक खतरनाक स्थिति है। किसी को नहीं पता कि यह और अधिक गहरा तो नहीं गई।रंगराजन ने कहा कि स्थिति और खराब होगी या इसी स्तर पर रहेगी, इसके बारे में अलग-अलग विचार हैं। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि यदि मौजूदा स्तर पर भी बरकरार रहती है तो यह खराब स्थिति है।उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली दबाव में है। सब प्राइम संकट सिर्फ मार्गेज बाजार तक सीमित नहीं है और यह रिसकर वित्तीय प्रणाली तक आ गई है, इसलिए बैंकिंग प्रणाली दबाव में है।