गुरुवार, 28 मार्च 2024
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Written By WD

जानिए, पांच पतिव्रता और महान महिलाएं...

जानिए, पांच पतिव्रता और महान महिलाएं... -
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चिंता की बात है कि शिव-पार्वती, राम-सीता, राधा-कृष्ण के मुल्क में ऐसी लड़कियां ढूंढना अब मुश्किल होता जा रहा है जिनकी नजरों में विवाह पूर्व-पश्चात दूसरों से यौन संबंध बनाना अनैतिक और संस्कृति के खिलाफ है। पाश्चात्य सोच का परिणाम भविष्य में इस देश को तोड़ देगा।

स्त्री का पतिव्रता होना आज के युग में दुर्लभ हो चला है। एक ही पति या पत्नी धर्म का पालन करना हिन्दू धर्म के कर्तव्यों में शामिल है। धर्म, समाज और सभ्यता को बचाए रखने के लिए स्त्री का पवित्र रहना जरूरी है, क्योंकि स्त्री इन सभी के केंद्र में है।

यूं तो भारत में हजारों ऐसी महिलाएं हुई हैं जिनकी पवित्रता और पतिव्रता पालन की मिसाल दी जाती है, लेकिन उनमें से भी कुछ ऐसी हैं, जो इतिहास का अमिट हिस्सा बन चुकी हैं। यहां प्रस्तुत हैं पांच महान पतिव्रता नारियां। इसमें पांचवें नंबर की स्त्री के बारे में आप जानकर हैरान रह जाएंगे।

अगले पन्ने पर पढ़ें, पहली पवित्र महिला...


1. अनुसूया : पतिव्रता देवियों में अनुसूया का स्थान सबसे ऊँचा है। वे अत्रि-ऋषि की पत्‍‌नी थीं। एक बार सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा में यह विवाद छिड़ा कि सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता कौन है? अंत में तय यही हुआ कि अत्रि पत्‍‌नी अनुसूया ही सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता हैं।

इस बात की परीक्षा लेने के लिए अत्रि जब बाहर गए थे तब त्रिदेव अनुसूया के आश्रम में ब्राह्मण के भेष में भिक्षा माँगने लगे और अनुसूया से कहा कि जब आप अपने संपूर्ण वस्त्र उतार देंगी तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगे। तब अनुसूया ने अपने सतीत्व के बल पर उक्त तीनों देवों को अबोध बालक बनाकर उन्हें भिक्षा दी। माता अनुसूया ने देवी सीता को पतिव्रता का उपदेश दिया था।

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2. द्रौपदी : द्रौपदी को कौन नहीं जानता। पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी को सती के साथ ही पांच कुंवारी कन्याओं में भी शामिल किया जाता है। द्रौपदी के पिता पांचाल नरेश राजा ध्रुपद थे। एक प्रतियोगिता के दौरान अर्जुन ने द्रौपदी को जीत लिया था। लेकिन जब अर्जुन उन्हें लेकर घर पहुंचे तो उन्होंने द्वार पर से ही अपनी माता को पुकारकर कहा कि आइए बाहर देखिए मैं आपके लिए क्या लाया हूं।

पांडव द्रौपदी को साथ लेकर माता कुंती के पास पहुंचे और द्वार से ही अर्जुन ने पुकारकर अपनी माता से कहा, 'माते! आज हम लोग आपके लिए एक अद्भुत भिक्षा लेकर आए हैं।' इस पर कुंती ने भीतर से ही कहा, 'पुत्रों! तुम लोग आपस में मिल-बांट उसका उपभोग कर लो।' बाद में यह ज्ञात होने पर कि भिक्षा वधू के रूप में हैं, कुंती को अत्यंत दुख हुआ किंतु माता के वचनों को सत्य सिद्ध करने के लिए द्रौपदी ने पाँचों पांडवों को पति के रूप में स्वीकार कर लिया।

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3. सुलक्षणा : रावण के पुत्र मेघनाद (इंद्रजीत) की पत्नी सुलक्षणा थीं जिसे सुलोचना भी कहा जाता था। इन्हें भी पांच सतियों में शामिल किया गया है।

रामायण अनुसार लक्ष्मण मूर्च्छा के बाद अगले दिन जब दोबारा लंकापति रावण ने मेघनाद को ही युद्ध की बागडोर सौंपी तो मेघनाद की पत्‍‌नी सुलोचना ने उसे युद्ध में जाने से मना किया, लेकिन मेघनाद ने उसकी एक न सुनी और युद्ध में लड़ते हुए मेघनाद की जान गई। जिस पर उसकी पत्‍‌नी भी मेघनाद के साथ ही सती हो गई।

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4. सावित्री : महाभारत अनुसार सावित्री राजर्षि अश्वपति की पुत्री थी। उनके पति का नाम सत्यवान था, जो वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र थे। सावित्री के पति सत्यवान की मृत्यु के बाद, सावित्री ने अपनी तपस्या के बल पर सत्यवान को पुनर्जीवित कर लिया था।

इनके नाम से वट सावित्री नामक व्रत प्रचलित है, जो महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। यह व्रत गृहस्थ जीवन के मुख्य आधार पति-पत्नी को दीर्घायु, पुत्र, सौभाग्य, धन-समृद्धि से भरता है।

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5. मंदोदरी : क्या किसी को मालूम है कि रावण की पत्नी कितनी पवित्र और महान थी? वह पवित्र और महान ही नहीं थीं, जगप्रसिद्ध भी थीं। कई कलाओं में कौशल और बुद्धिमान पत्नी होने के बावजूद रावण ने अपनी पत्नी की कभी नहीं सुनी।

मंदोदरी रामायण के पात्र, लंकापति रावण की पत्नी थी। हेमा अप्सरा से उत्पन्न रावण की पटरानी, जो मेघनाद की माता तथा मयासुर की कन्या थी। वे रावण को सदा अच्छी सलाह देती थीं और कहा जाता है कि अपने पति के मनोरंजनार्थ इसी ने शतरंज के खेल का प्रारंभ किया था। इसकी गणना भी पंचकन्याओं में है।

सिंघल द्वीप की राजकन्या और एक मातृका का भी नाम मंदोदरी था। (वेबदुनिया डेस्क)