तुम्हारे आने की महक
डॉ.गिरीश एम.नागड़ा
मैं हर वक्तहर क्षणतुम्हारे प्यार,ऊर्जा कातलबगार रहा हूँ।मैं रहा हूँहर क्षणप्यासातुम्हारे प्यार का। तुम्हारे इन्तजार केलम्हों कोजितना मैंने झेला हैसदियों साअहसास दे गयावह इन्तजार। मैं यहाँ जीवन-पथ परअकेला निपटएकाकी खड़ाझेल रहा हूँउस कड़ी धूप को भीहँसते-हँसते,क्योंकिमुझे यहाँ सेदिखाई दे रही हैतुम्हारी पालकी की गुम्बज और यहाँ की हवाओं मेंआ रही हैतुम्हारे आने की महक।