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Written By WD

अठारह बरस

प्रेम कविता

Romance Love song | अठारह बरस
भगवत रावत

उस पर कविता लिखना
अपनी खाल उधेड़ने जैसा लगता है
खाल जो महज खोल रह गई है

लगातार भागते-भागते
हाँफते-हाँफते
की गई बातों के हिसाब
ये बड़े होते हुए बच्चे
कब इतने बड़े हो गए

फेफड़ों से बड़ी
लंबी तेज भागती हुई
साँसों के बीच
उसकी आँखों के नीचे
गड्‍ढे गहरे स्याह होते-होते
कब इतने गहरे हो गए
नहीं-नहीं
उम्र के उन निशानों तक वापस जाना
फिजूल है
जो उसे और मुझे
दोनों को ठीक याद नहीं

यह सच है
मुझसे नहीं बनी कोई प्रेम कविता
पर असल में
मैं एक अच्छी प्रेम कविता ही तो
लिखना चाहता था
जिसे पाने के लिए
अब तक क्या-क्या नहीं लिखा
भागते-भागते
हाँफते-हाँफते।