जाने क्या होता इन प्यार भरी बातों में रिश्ते बन जाते हैं चंद मुलाकातों में मौसम कोई हो हम अनायास गाते हैं बंजारे होंठ मधुर बाँसुरी बजाते हैं मेहँदी के रंग उभर आते हैं हाथों में। खुली-खुली आँखों में स्वप्न सगुन होते हैं हम मन के क्षितिजों पर इंद्रधनुष बोते हैं चंद्रमा उगाते हम अँधियारी रातों में। सुधियों में हम तेरे भूख-प्यास भूले हैं पतझर में भी जाने क्यों पलाश फूले हैं शहनाई गूँज रही मंडपों कनातों में।