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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

शनि देव के प्राचीन एवं चमत्कारिक सिद्धपीठ

शनि के दंड से बचा सकते हैं यह तीन सिद्धपीठ

Shani dev in Hindi | शनि देव के प्राचीन एवं चमत्कारिक सिद्धपीठ
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भारत में भगवान शनि के नए-नए और अनेक मंदिर बन गए हैं, लेकिन क्या उक्त मंदिरों में मत्था टेकने का कोई महत्व है या नहीं? सांईनाथ के भी अब अनेक मंदिर बनने लगे हैं, लेकिन सांई तो सिर्फ शिर्डी में ही विराजमान है।

वैसे जो भारतभर में शनि देव के कई पीठ है किंतु तीन ही प्राचीन और चमत्कारिक पीठ है, जिनका बहुत महत्व है। उक्त तीन पीठ पर जाकर ही पापों की क्षमा मांगी जा सकती है। जनश्रुति है कि उक्त स्थान पर जाकर ही लोग शनि के दंड से बच सकते हैं, किसी अन्य स्थान पर नहीं।

जीवन में किसी भी तरह की कठिनाई हो या शनि ग्रह का प्रकोप है, लेकिन यहां जाकर लोग भय‍मुक्त हो जाते हैं। मान्यता के अनुसार जातक को तत्काल लाभ मिलता है। कहते हैं कि पिछले कई हजारों वर्षों से यह पीठ आज भी ज्यों के त्यों है और आज भी यहां चमत्कार घटित होते रहते हैं।

आइए हम जानते हैं कि वे तीन पीठ कहां पर स्थित है :-


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1. शनि शिंगणापुर :-

महाराष्ट्र के एक गांव शिंगणापुर में स्थित है, शनि भगवान का प्राचीन स्थान। शिंगणापुर गांव में शनिदेव का अद्‍भुत चमत्कार है। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां रहने वाले लोग अपने घरों में ताला नहीं लगाते हैं और आज तक के इतिहास में यहां किसी ने चोरी नहीं की है।

ऐसी मान्यता है कि बाहरी या स्थानीय लोगों ने यदि यहां किसी के भी घर से चोरी करने का प्रयास किया, तो वह गांव की सीमा से पार नहीं जा पाता है। उससे पूर्व ही शनि देव का प्रकोप उस पर हावी हो जाता है।

उक्त चोर को अपनी चोरी कबूल भी करना पड़ती है और शनि भगवान के समक्ष उसे माफी भी मांगना होती है अन्यथा उसका जीवन नर्क बन जाता है।

कैसे पहुंचे :-

सड़क मार्ग : - शिर्डी से शिंगणापुर की दूरी - 70 किमी, नासिक से शिंगणापुर - 170 किमी, औरंगाबाद से शिंगणापुर- 68 किमी, अहमदनगर से शिंगणापुर की दूरी - 35 किमी की दूरी तय करके पहुंत सकते हैं।

रेल मार्ग : - भारत के किसी भी कोने से यहां आने के लिए रेलवे सेवा का उपयोग भी किया जा सकता है। जिसके लिए अहमदनगर, राहुरी, श्रीरामपुर (बेलापुर) उतरकर बस, जीप, टैक्सी सेवा से शिंगणापुर पहुंच सकते हैं।

हवाई मार्ग :- यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु मुंबई, औरंगाबाद या पुणे आकर शिंगणापुर के लिए बस या टैक्सी सेवा ले सकते हैं।
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2. शनिश्चरा मंदिर :-

मध्यप्रदेश के ग्वालियर के पास स्थित है शनिश्चरा मंदिर। इसके बारे में किंवदंती है कि यहां हनुमानजी के द्वारा लंका से फेंका हुआ अलौकिक शनि देव का पिंड है। यहां शनिशचरी अमावस्या के दिन मेला लगता है।

भक्तजन यहां तेल चढ़ाते हैं और अपने पहने हुए कपड़े, चप्पल, जूते आदि सभी यहीं छोड़कर घर चले जाते हैं। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से पाप और दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है।

माना जाता है कि शनिश्चरा मंदिर में शनि शक्तियों का वास है, यहां की प्राकृतिक सुंदरता मन को बहुत लुभाती है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई पड़ती है।

कैसे पहुंचें -

बस सेवा :- मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में शनिश्चरा मंदिर है। ग्वालियर से बसों व टैक्सियों से भी शनिश्चरा पहुंचा जा सकता है।

हवाई सफर :- कई शहरों से ग्वालियर के लिए सीधी हवाई सेवा है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया हवाई अड्डे से शनिश्चरा मंदिर सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है।

रेल सेवा :- शनिश्चरा रेलवे स्टेशन, ग्वालियर-भिंड रेलवे लाइन पर पड़ता है। ग्वालियर दिल्ली-मुंबई रेलखंड का प्रसिद्ध स्टेशन है। शनि अमावस्या पर यहां काफी भीड़ होती है, उस दिन कई स्पेशल ट्रेन और बसें मंदिर तक के लिए चलाई जाती हैं।


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3. सिद्ध शनिदेव :-

उत्तरप्रदेश के कोशी से छह किलोमीटर दूर कौकिला वन में स्थित है सिद्ध शनिदेव का मंदिर। इसके बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां शनिदेव के रूप में भगवान कृष्ण विद्‍यमान रहते हैं।

मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति इस वन की परिक्रमा करके शनि देव की पूजा करेगा वहीं कृष्ण की कृपा पाएंगे। उस पर से शनि देव का प्रकोप भी हठ जाएगा।

यह शनि मंदिर भी दुनिया के प्राचीन शनि मंदिरों में से एक है। यहां श्रद्धालुओं द्वारा मांगी गई मुराद जल्द ही पूरी हो जाती है

कैसे पहुंचें-

मथुरा कोसीकलां जाने के लिए सबसे आसान रास्ता है।

मथुरा-दिल्ली नेशनल हाइवे पर मथुरा से 21 किलोमीटर दूर कोसीकलां गांव पड़ता है। कोसीकलां से एक सड़क नंदगांव तक जाती है। बस यहीं से कोकिला वन शुरू हो जाता है।