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Written By ND

कितने प्रभावी है विशाल यज्ञ अनुष्ठान...!

कितने प्रभावी है विशाल यज्ञ अनुष्ठान...! -
- पं. विजय रावल

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किसी भी बड़े, भव्य यज्ञ-अनुष्ठान के संपन्न होने के बाद पूरे शहर में यज्ञ अनुष्ठान की चर्चा रहती है कि इतने भव्य आयोजन, बड़े खर्चे से क्या लाभ हुआ? जिसमें अधिकांशतः बुद्धिजीवियों का विश्लेषण आलोचनात्मक होता है। यह सच है कि वर्तमान समय में कथा प्रवचनकारों, बड़े व्यापारिक संगठनों एवं नेताओं के सहयोग से भी सामूहिक एवं 'सर्वकल्याणकारी' महायज्ञ-अनुष्ठानों के आयोजन आए दिन होते रहते हैं।

इनके पीछे भावना निश्चित ही अच्छी होती है कि सबका कल्याण हो, सुख-समृद्धि एवं शांति की प्राप्ति हो। लेकिन क्या इनसे सच में वांछित फल प्राप्त होता है? मनोकामना की पूर्ति होती है? यज्ञ-अनुष्ठानों के सभी नियम-संयम का पालन होता है? मंत्रोच्चार, मंत्र ध्वनियों एवं विभिन्न प्रक्रियाएँ क्या 'वैदिक विज्ञान' के अनुरूप होती हैं?

मुहूर्त, शुद्धिकरण, संकल्प आदि का कितना ध्यान रखा जाता है? ऐसे कई प्रश्न यज्ञ-अनुष्ठान के संपन्न होने के बाद अनुत्तरित ही रह जाते हैं। साथ ही एक बात और कि कुछ आयोज नितांत व्यक्तिगत विचारों से उत्पन्न होते हैं जैसे साँईं बाबा यज्ञ, धनलक्ष्मी, धनवर्षा, महालक्ष्मी यज्ञ आदि इनका संपूर्ण वैदिक उल्लेख नहीं, ये सिर्फ सनातन धर्म के अवेयरनेस प्रोग्राम की एक एक्टिविटी मात्र बनकर रह जाते हैं।

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जिस प्रकार अंतरिक्ष यान के प्रेक्षण के पहले 'चेक लिस्ट' तैयार की जाती है, तब कहीं जाकर उस यान को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी पूर्ण होती है, इसी प्रकार की चेक लिस्ट तैयारी 'वैदिक विज्ञान' से संबंधित यज्ञ-अनुष्ठानों की होती है, क्योंकि यहाँ भी 'हव्य' सामग्री निवेदन, स्तुति, मनोकामनाएँ मंत्रों की विशेष स्वर धमनियों के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजनी होती है। अतः चेक लिस्ट का सही होना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

अब चूँकि 'वैदिक विज्ञान' इतना विस्तृत है कि थोड़े भी नियम-संयम प्रतिपादन में आगे-पीछे होने से यज्ञ-अनुष्ठानों से परिणाम प्राप्त नहीं होते, और बिना इस विषय की गहराई में, डिटेल्स में जाए तो फिर सारे बुद्धिजीवी इसे ढकोसला, कर्मकांड या पोंगापंथी के रूप में स्थापित करने में जुट जाते हैं। इतने भव्य आयोजन, इतनी सारी शुद्ध सामग्री आदि के बाद भी इन यज्ञ-अनुष्ठानों से अनुकूल परिणाम न मिलने का मतलब यह नहीं कि ये सब ढकोसला या पोंगापंथी है या 'वैदिक विज्ञान' प्रभावी नहीं है, बल्कि इनके संपादन किए जाने वाले नियम-संयम, मुहूर्त, मंत्रोच्चार-मंत्र ध्वनि आदि में कहीं 'चेक लिस्ट' जैसी महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य जैसे विभाग में कहीं त्रुटि है।

जन्म कुंडली पर आधारित एक दिन के 'नवग्रह वैदिक शांति अनुष्ठान' के लिए ध्यान रखने योग्य 'वैदिक विज्ञान' के नियम-संयम हैं जिनसे पता चलता है कि इतने भव्य यज्ञ-अनुष्ठानों के संपादन के लिए क्या किया जाना चाहिए। इस प्रकार इतनी विस्तृत चेक लिस्ट का ध्यान जब एक नवग्रह वैदिक शांति पूजन में रखा जाता है, तब निश्चित ही इतने भव्य यज्ञ-अनुष्ठान में और भी नियम-संयम के विधान रहते हैं जिस पर ध्यान दिया जाना (यज्ञ-अनुष्ठान के पहले) अत्यंत आवश्यक है जिससे कि उनके संपादन पर पूर्ण फल श्रुति की प्राप्ति हो न कि इस सनातन संज्ञान के श्रेष्ठ कर्म यज्ञ-अनुष्ठान पर ढकोसला या पोंगापंथी का दोषारोपण हो।