मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
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Written By ND

कर्मों से बनो महान

Lord Rama | कर्मों से बनो महान
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भगवान राम जब शबरी से मिलने के लिए गए तो उन्होंने देखा कि वहाँ के सारे फूल खिले हुए हैं, उनमें से एक भी कुम्हलाया नहीं है तथा प्रत्येक में मधुर भीनी-भीनी सुगंध निकल रही है। उन्होंने जिज्ञासावश शबरी से इसका कारण पूछा, तो वह बोली- 'भगवन्‌ इसके पीछे एक घटना है।'

यहाँ बहुत समय पूर्व मातंग ऋषि का आश्रम था, जहाँ बहुत से ऋषि-मुनि और विद्यार्थी रहा करते थे। एक बार चातुर्मास के समय आश्रय में ईंधन समाप्त प्राय था। वर्षा प्रारंभ होने के पूर्व ईंधन लाना जरूरी था। प्रमादवश विद्यार्थी लकड़ी लाने नहीं जा रहे थे।

तब एक दिन स्वयं वृद्ध मातंग ऋषि अपने कंधे पर कुल्हाड़ी रखकर लकड़ियाँ काटने चल दिए। गुरु को जाते देख विद्यार्थी भी उनके पीछे चले। सूखी-सूखी लकड़ियाँ काटी गईं और उन्हें बाँध-बाँधकर वे लोग आश्रम की ओर लौटने लगे।

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हे राम, वृद्ध आचार्य के शरीर से श्रम बिंदु निकलने लगे थे। विद्यार्थी भी पसीने से तर-बतर हो गए थे। तब जहाँ-जहाँ वे श्रमबिंदु गिरे थे वहाँ-वहाँ सुंदर फूल खिल उठे, जो बढ़ते-बढ़ते आज सारे वन में फैल गए हैं। यह उनका पुण्य प्रभाव ही है कि वे ज्यों के त्यों बने हुए हैं, कुम्हला नहीं रहे हैं।

तात्पर्य यह कि भली प्रकार और सदिच्छा से किए गए कार्य मधुर सुगंध देते हैं। फूल मिट्टी पर ही खिलते हैं और उसकी खुशबू से संसार महकता है। श्रमजीवी के शरीर से निकलने वाला पसीना ही संसार का पोषण करता है और जीवन जीने की अनुकूल स्थिति पैदा करता है।

अगर ऋषि स्वयं श्रम करने के लिए उद्धृत नहीं होते, तो उनके शिष्य भी उनके साथ नहीं जाते और तब स्पष्ट है कि इस दुनिया को श्रम से पुलकित ये सुंदर, मोहक और सुगंधित फूलों के दर्शन नहीं होते। बड़े लोग सिर्फ वचन से ही नहीं, कर्मों से भी महान होते हैं।