शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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Written By ND

ग्यारहवीं शरीफ का उर्स मेला संपन्न

या गौस अलमदद के गूँजे नारे

ग्यारहवीं शरीफ का उर्स मेला संपन्न -
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मदनमहल पहा़ड़ी पर हजरत पीराने गौस-ए-आजम दस्तगीर की दरगाह में गुरुवार को ग्यारहवीं शरीफ के आखिरी उर्स मेला में हजारों अकीदतमंदों ने हाजिरी दी।

अकीदतमंदों ने दरगाह में निशान चादर च़ढ़ाए, नजो-न्याज पेश की एवं लंगर तकसीम किया। मेला में दिनभर या गौस अलमदद के नारे गूँजते रहे। अपरान्ह जल्सागाह में सूफी संत सम्मेलन बज्म-ए- सूफिया का एहतेमाम किया गया जिसमें दूर-दराज से आए सूफी हजरात ने शिरकत की।

अलसुबह बाद नमाज फजर से दरगाह शरीफ में जायरीन की हाजरी का सिलसिला शुरू हो गया था। स्थानीय लोगों के अतिरिक्त दूर-दराज क्षेत्रों से आए अकीदतमंद बड़ी संख्या में दरगाह पहुँचे। सूपाताल कब्रिस्तान से दरगाह तक लगभग दो किलोमीटर लंबी पहा़ड़ी मार्ग पर भीड़ नजर आ रही थी। दरगाह में लगभग दो लाख लोगों ने सलामी पेश की। अकीदतमंदों द्वारा ग्यारह, इक्कीस मीटर लंबी चादरें तथा इक्तीस, इक्यावन फुट ऊँचे निशान पेश किए।

जल्सागाह में सूफी संत सम्मेलन का एहतेमाम किया गया। मुतवल्ली हाजी मुश्ताक अली कादरी की जेरे सरपरस्ती, बुजुर्ग बाबा आशिक अली कादरी की सदारत तथा हाजी सूफी लाल साहब कादरी की निजामत में आयोजित बज्म-ए- सूफिया में कादरी, चिश्ती, निजामी, साबरी, मदारी, न्याजी, सफवी, रजवी, वारसी, सुल्तानी, बुर्हानी, अशरफी, रब्बानी, बंदानवाजी आदि सिलसिलों के मुकामी व दूर-दराज से आए सूफी हजरात ने शिरकत फरमाई। इस दौरान सूफी संतों के एकता और भाईचारे के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया गया। साथ ही मुल्क की खुशहाली व तरक्की के लिए दुआएँ की गईं।

दस्तारबंदी-बाबा आशिक अली कादरी, सूफीलाल साहब कादरी, अजीज अली कादरी, फारुक अली, बासिद अली, कादिर अली, महफूज अली कादरी ने तकरीर, नअत शरीफ, मनकबत पाक पेश की।

दरगाह शरीफ में शुक्रवार को दोपहर के समय जुमा की नमाजोपरांत कुल शरीफ का एहतेमाम किया गया। इस मौके पर दूर-दराज से आए सूफी हजरात की दस्तारबंदी कर विदाई दी गई।