दिवाली जोड़ती है दिलों को
हम सब एक हैं
दीपावली त्योहार ही ऐसा है जो पूरे परिवार के साथ मनाया जाता है। मौजमस्ती के इस त्योहार का मजा तभी आता है जब हमारे अपने साथ हों। यही कारण है कि दीपावली की छुट्टियों में हर कोई अपना कामकाज छोड़कर अपनों के पास चले जाते हैं। यह भारत ही है, जहाँ परंपराएँ व रिश्तों की मिठास अब तक कायम है। हमारे बीच दूरियाँ भले ही हो पर हमारे दिल एक हैं। प्यार की डोर मीलों दूर से हमें अपनों के पास ले आती है। * करते हैं इंतजार अपनों का :- कई एकल परिवारों में दीपावली खुशियों का पर्याय बनकर आती है। इस दिन जब एकल परिवार, वृहद संयुक्त परिवार का रूप ले लेता है और दादा-दादी, चाचा-चाची सब एक ही घर में इकट्ठा होते हैं, तब खुशियाँ दोगुनी हो जाती हैं।
श्रीमती कमला नाहर के अनुसार - 'मैं सालभर से अपने बेटे के आने का इंतजार करती हूँ। वह विदेश में है इसलिए बार-बार आना-जाना नहीं होता है। दीपावली ही एक ऐसा त्योहार है, जब मैं अपने बेटे-बहू और पोते के साथ रहती हूँ। वो कुछ दिन ऐसे होते हैं, जब मुझे अपनों के साथ ढ़ेर सारी खुशियाँ और मौजमस्ती के पल मिलते हैं।'* दीपावली और छुट्टियाँ :- दीपावली पर मिलने वाली छुट्टियाँ बच्चों और बड़ों दोनों की खुशियों को बढ़ा देती है। इस त्योहार पर सभी अपनों के स्वागत के लिए तैयार रहते हैं। नौकरीपेशा लोगों के लिए इस त्योहार पर दो-तीन दिन की छुट्टियों का मजा ही कुछ ओर होता है। * विदेशों से आते हैं रिश्तेदार :- भारत में दीपावली की जो रौनक रहती है, वह विदेशों में नहीं रहती। तभी तो विदेशों में रह रहे कई लोग भारत में अपने रिश्तेदारों के यहाँ इस त्योहार की खुशियों को बाँटने आते हैं। '
दीपोत्सव' एक बहाना है अपनों से मिलने का। हमारी व्यस्ततम दिनचर्या में कई बार हम अपने पड़ोसियों से भी नहीं मिल पाते हैं लेकिन इस त्योहार के बहाने सबकी शिकायतें दूर हो जाती हैं और हम अपनों के पास पहुँच जाते हैं।