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Written By भाषा

नीतीश ने रची राजद को तोड़ने की साजिश-लालू

नीतीश ने रची राजद को तोड़ने की साजिश-लालू -
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पटना। राजद से विधायकों के एक गुट के अलग होने के बीच लालू प्रसाद मंगलवार को अपने दल को एकजुट करने के उद्देश्य से पटना पहुंचे और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उनकी पार्टी को तोड़ने की साजिश करने का आरोप लगाया।

लालू ने कहा कि नीतीश ने स्पीकर के साथ मिलकर मेरी पार्टी को तोड़ने की साजिश रची। लेकिन ऐसा हो नहीं सका और पूरे देश ने इस साजिश को देख लिया।

राजद में उस समय उथलपुथल मच गई थी जब पार्टी के 22 विधायकों में से 13 ने पार्टी छोड़ दी हालांकि इनमें से छह विधायक बाद में लौट आए और पार्टी से अलग होने से इंकार किया।

राजद विधायक दल की बैठक पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर बुलाई गई है जिसमें लालू और पार्टी के शीर्ष नेता उपस्थित रहेंगे।

ऐसी खबरें हैं कि पार्टी से अलग होने वाले 13 विधायकों में से तीन और बागी नेताओं ने कल रात राबड़ी देवी के घर पर उनसे मुलाकात की और पार्टी से अलग होने से इंकार किया।

लालू प्रसाद ने जहां पटना के लिए उड़ान भरी, वहीं राजद नेता के आने के कुछ ही देर बार नीतीश कुमार दिल्ली के लिए रवाना हुए। पर पटना हवाई अड्डे पर उनका आमना सामना नहीं हुआ।

राजद से अलग होने वाले विधायकों ने जदयू सरकार को समर्थन देने की बात कही है। इस संबंध में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को पत्र लिखा था। इसके अनुरूप इनके लिए सदन में अलग गुट के रूप में बैठने की व्यवस्था की अनुमति दी गई।

मामले पर क्या बोले नीतीश...


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी बागी राजद विधायकों का जदयू में स्वागत करेगी और साथ ही इन आरोपों को खारिज किया कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने उनके इशारे पर काम करते हुए जल्दबाजी में राजद के अलग हुए गुट को मान्यता दे दी।

दिल्ली में गैर कांग्रेस और गैर भाजपा दलों की बैठक में हिस्सा लेने आये नीतीश ने संवाददाताओं से कहा कि राजद में मतभेद हैं और यह पार्टी विभाजन के कगार पर है। उन्होंने कहा कि जहां तक जदयू के रूख का सवाल है, अगर लोग हमारे पास आते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे। नीतीश ने कहा कि यह संभव नहीं है।

विधानसभा अध्यक्ष को संविधान द्वारा कुछ शक्तियां प्रदान की गई है और कुछ मामलों में अकेले वही निर्णय कर सकते हैं। इस मामले में भी यही हुआ है । कोई उन पर दवाब नहीं डाल सकता। इस फैसले के तकनीकी पहलुओं पर लोग जितना चाहे चर्चा कर सकते हैं लेकिन जहां तक राजनीतिक घटनाक्रम का सवाल है राजद विभाजन के करीब है। (भाषा)