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Written By भाषा
Last Modified: मोहाली , शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011 (22:52 IST)

मैं जिंदा हूँ श्रीमान...!

पूर्व वायुसेनाकर्मी ने जीती कानूनी जंग

मैं जिंदा हूँ श्रीमान...! -
वायुसेना के एक सेवानिवृत्त वारंट अधिकारी ने 12 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार यह साबित कर दिया कि वह मरा नहीं है बल्कि जीवित है।

एक मंडलीय अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि शीतल सिंह बागी मरे नहीं हैं, बल्कि जीवित हैं। गौरतलब है कि 70 वर्ष की अवस्था पार कर चुके बागी को 1996 में अदालत के एक आदेश में मृत घोषित कर दिया गया था, लेकिन वर्ष 1999 से अपने जीवित रहने के बाबत कानूनी लड़ाई लड़ रहे बागी को पटियाला के राजपुरा की एक उपमंडलीय अदालत ने अब जाकर जिंदा घोषित किया है।

अतिरिक्त सिविल जज गोपाल अरोड़ा ने पिछले सप्ताह सुनाए गए अपने दो अलग-अलग फैसले में बागी की पेंशन की बहाली का आदेश दिया एवं करोड़ों रुपए की कीमत वाली 71 कनाल भूमि का स्वामित्व बरकरार रखने संबंधी आदेश दिया। अदालत ने भारतीय वायुसेना को बागी की पेंशन बहाल करने का आदेश दिया है। (भाषा)