बुधवार, 17 अप्रैल 2024
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Written By WD

साँई महामंत्र

साँई महामंत्र -
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एक बार क्रिसमस संध्या पर स्वामी प्रज्ञानंदजी अपनी अंतरराष्ट्रीय संध्या शिरडी की पवित्र भूमि पर संपन्न करा रहे थे। इस बीच स्वयं शिरडी के साँई बाबा अपनी साक्षात और सूक्ष्म उपस्थिति के साथ इस संध्या में सम्मिलित हुए थे।

उन्होंने स्वयं स्वामीजी को साँई गायत्री महामंत्र का दृष्टा बनने का सौभाग्य प्रदान किया था। यह अलौकिक महामंत्र इस प्रकार है।

ॐ शिरडी वासाय विदमहे सच्चिदानंदाय॥
धीमहि तन्नो साँई प्रचोदयात्‌

इस घटना के पश्चात स्वामीजी के व्यक्तित्व में आमूल परिवर्तन आ गया और उनकी आध्यात्मिक जीवन यात्रा का शुभारंभ हो गया। वह साँई शक्ति से जुड़ गए और उन्हें साँई कृपा से चमत्कृत दैवीय अनुभूति प्राप्त हुई।

आज की विषम परिस्थितियों से आक्रांत मानव, जीवन में सुख शांति और सम्मुन्नति पाने के लिए बेचैन है। इसके लिए साँई गायत्री महामंत्र का प्रतिदिन ग्यारह बार जाप विशेष उपयोगी सिद्ध हो रहा है।

अतः इस जाप के करने की परंपरा अपने परिवार में तत्काल प्रारंभ करने का प्रयास कीजिए। जो भी व्यक्ति साँई की मूर्ति अथवा चित्र के सम्मुख प्रतिद‍िन साँई गायत्री महामंत्र का पाठ नियमित, निश्चित और निरंतर रूप से करेगा वह साँई कृपा से अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण सफल होगा और साँई अपने सहज भाव से उसका सदा संरक्षण करते रहेंगे।