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Written By ND

राम-आदर्श लक्ष्मण रेखा के समान

राम-आदर्श लक्ष्मण रेखा के समान -
नलिन खोईवा
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जो व्यक्ति संयमित, मर्यादित और संस्कारित जीवन जीता है, निःस्वार्थ भाव से उसी में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों की झलक परिलक्षित हो सकती है। राम के आदर्श लक्ष्मण रेखा की उस मर्यादा के समान है जो लाँघी तो अनर्थ ही अनर्थ और सीमा की मर्यादा में रहे तो खुशहाल और सुरक्षित जीवन।

प्रजा का सच्चा जनसेवक राम जैसा आदर्श सद्चरित्र आज के युग में दुर्लभ है। हमारे जनप्रतिनिधि जनसेवा की बजाए स्वसेवा में ज्यादा विश्वास करते हैं जबकि भगवान राम ने खुद मर्यादा का पालन करते हुए स्वयं को तकलीफ और दुःख देते हुए प्रजा को सुखी रखा क्योंकि उनके लिए जनसेवा सर्वोपरि थी।

राम जैसे आदर्श और मर्यादा यदि हममें होती तो आज भी माता सीता की तरह स्त्रियों को अग्नि परीक्षा से नहीं गुजरना पड़ता। राम के चरित्र को केवल एक प्रतिशत ही हमारे देश के नेता अपने जीवन में आत्मसात कर लें तो हम आज विश्व मंच पर सुशोभित हो जाएँगे।