गणगौर व्रत कैसे करें?
गणगौर पर्व कैसे मनाएं?
चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को प्रातः स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोना चाहिए।* इस दिन से विसर्जन तक व्रती को एकासना (एक समय भोजन) रखना चाहिए।* इन जवारों को ही देवी गौरी और शिव या ईसर का रूप माना जाता है।* जब तक गौरीजी का विसर्जन नहीं हो जाता (करीब आठ दिन) तब तक प्रतिदिन दोनों समय गौरीजी की विधि-विधान से पूजा कर उन्हें भोग लगाना चाहिए।
* गौरीजी की इस स्थापना पर सुहाग की वस्तुएं जैसे- कांच की चूड़ियां, सिंदूर, महावर, मेहंदी, टीका, बिंदी, कंघी, शीशा, काजल आदि चढ़ाई जाती हैं।* सुहाग की सामग्री को चंदन, अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्यादि से विधिपूर्वक पूजन कर गौरी को अर्पण किया जाता है। * इसके पश्चात गौरीजी को भोग लगाया जाता है।* भोग के बाद गौरीजी की कथा कही जाती है।