मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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Written By WD

गणगौर के लोकगीत

गणगौर के लोकगीत -
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गणगौर के समय सबसे ज्यादा समस्या पूजन आदि के दौरान गाए जाने वाले गीतों के चयन व उनकी उपलब्धता को लेकर आती है। यहाँ हमने आपकी सुविधा के लिए गणगौर के दौरान विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीत दिए हैं।

सोनी गढ़ को खड़को

सोनी गढ़ को खड़को म्हे सुन्यो सोना घड़े रे सुनार
म्हारी गार कसुम्बो रुदियो
सोनी धड़जे ईश्वरजी रो मुदड़ो,
वांकी राण्या रो नवसर्‌यो हार म्हांरी गोरल कसुम्बो रुदियो
वातो हार की छोलना उबरी बाई
सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदिय
(नोट- इसके आगे अपने पति का नाम लेना चाहिए)

हाँजी म्हारे आँगन कु

हाँजी म्हारे आँगन कुओ खिनयदो हिवड़ा इतरो पानी
हाँजी जुड़ो खोलर न्हावा बेठी ईश्वरजी री रानी
हाँजी झाल झलके झुमना रल के बोले इमरत बानी
हाँजी इमरत का दो प्याला भरिया कंकुरी पिगानी
(नोट- इसके आगे अपने पति का नाम लेना चाहिए)

गाढ़ो जोती न रणु बाई आय

गाढ़ो जोती न रणु बाई आया
यो गोडो कुण छोड़ोवे
गाढ़ो छोज्ञावे ईश्वरजी हो राजा
वे थारी सेवा संभाले
सेवा संभाले माता अगड़ घड़ावे, सासरिये पोचावे
सासरिये नहीं जाँवा म्हारी माता पिपरिया में रे वां
भाई खिलावां भतीजा खिलावां, तो भावज रा गुण गांव
(नोट- इसके आगे अपने पति का नाम लेना चाहिए)

रणु बाई रणुबाई रथ सिनगारियो त

रणुबाई रणुबाई रथ सिनगारियो तो
को तो दादाजी हम गोरा घर जांवा
जांवो वाई जावो बाई हम नहीं बरजां
लम्बी सड़क देख्या भागी मती जाजो
उँडो कुओ देख्या पाणी मती पीजो
चिकनी सिल्ला देखी न पाँव मती धरजो
पराया पुरुष देखनी हसी मती करजो

म्हारा दादाजी के जी मांडी गणगौ

म्हारा दादाजी के जी मांडी गणगौर
म्हारा काकाजी के मांडी गणगौर
रसीया घडी दोय खेलवाने जावादो

घडी दोय जावता पलक दोय आवता
सहेलियाँ में बातां चितां लागी हो रसीया
घडी दोय खेलवाने जावादो

थारो नथ भलके थारो चुड़लो चमके
थारा नेना रा निजारा प्यारा लागे हो मारुजी
थारा बिना जिवडो भुल्यो डोले

(नोट- इसके आगे काकाजी, बिराजी, मामाजी सभी का नाम लेना चाहिए)