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Written By भाषा
Last Modified: बीजिंग (भाषा) , शुक्रवार, 8 अगस्त 2008 (23:07 IST)

चीन बनेगा खेलों की महाशक्ति!

चीन बनेगा खेलों की महाशक्ति! -
दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन अब खेलों का सुपर पॉवर बनने की दहलीज पर है और कयास लगाए जा रहे हैं कि अपनी धरती पर हो रहे ओलिम्पिक में वह अमेरिका को पटखनी दे देगा।

चीन ने हालाँकि इन अटकलों को तूल नहीं दिया है। चीनी ओलिम्पिक दल के उप-प्रमुख कुइ दालिन ने कहा कि उन्होंने पदकों को लेकर कोई लक्ष्य तय नहीं कर रखा है।

उन्होंने यह जरूर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सारे एथलीट अपनी क्षमता के अनुरूप खेल दिखाएँगे। अधिकारी चाहे कुछ भी कहें, लेकिन हकीकत यही है कि चीन पर बेहतरीन प्रदर्शन का जबरदस्त दबाव है।

टीम की घोषणा के समय बास्केटबॉल स्टार याओ मिंग 110 मीटर बाधा दौड़ चैम्पियन लियू शियांग और दर्जनों अन्य खिलाड़ियों ने देश की एक अरब 30 करोड़ की आबादी को गौरवान्वित करने की शपथ ली थी।

उन्होंने कहा था मातृभूमि के लिए मैं बीजिंग ओलिम्पिक के दौरान पूरे साहस और ऊर्जा का परिचय देते हुए फक्र के साथ जीतने की कोशिश करुँगा। हम अपने देशवासियों और मातृभूमि के लिए जीजान लड़ा देंगे।

चार बरस पहले एथेंस में चीन ने 32 स्वर्ण 17 रजत और 14 कांस्य पदक जीते और वह अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर रहा। बीजिंग ओलिम्पिक में चीन ने 639 खिलाड़ियों को उतारा है, जबकि एथेंस में यह संख्या 407 थी। चीन की पीले तमगे की उम्मीदें टेबल टेनिस बैडमिंटन जिम्नास्टिक और गोताखोरी पर टिकी है।

इसके अलावा वह केनोइंग मुक्केबाजी बीच वॉलीबॉल और लयबद्ध तैराकी में भी बेहतर प्रदर्शन की कोशिश करेगा। एथलेटिक्स में लियू और लंदन मैराथन विजेता झू चुनशियू के पास स्वर्ण पदक जीतने का मौका है।

तरणताल में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहने की उम्मीद है। चीन को निशानेबाजी में भी पहली बार स्वर्ण पदक मिल सकता है। शार्प शूटर डू लि दस मीटर एयर राइफल में पदक के दावेदार माने जा रहे हैं।