गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By WD

सनन्-सनन् निनाद कर रहा पवन

- विजय कुमार सिंह

सनन्-सनन् निनाद कर रहा पवन -
GN

सनन्-सनन् निनाद1 कर रहा पवन2
अजस्र3 मर्मरित4 हुए हैं वन5 सघन6
न पर्ण7 सा बना रहे सदा सिहर-सचल8
ओ मनुज9 बना रहे सदा सबल10।

घनक/ घनक11 घनेरते12 घनेरे13 घन14
नृत्य15 कर रहे निरत16 तड़ित17 चरण18
मन रहे न यह कभी तेरा विकल19
ओ मनुज बना रहे सदा सबल।

झरर-झरर वरिष20 अदिति21 निगल रहा
अमित22 अनिष्ट23 अग्नि24 ज्वाल25 पल रहा
सामने अड़े हुए अडिग26 अचल27
ओ मनुज बना रहे सदा सबल

थरर-थरर कांपती वसुंधरा28
तीव्र29 ज्वार30 ले उदधि31 उमड़ पड़ा।
हो रहे विरोध32 में ये जग33 सकल34
ओ मनुज बना रहे सदा सबल

1. जोर की आवाज, 2. हवा; वायु, 3. सतत, लगातार, अविछिन्न; 4. खड़खड़ाहट, 5. जंगल, 6. घने; 7 पत्ता; 8 कांपना-चंचल, चलना; 9. मनुष्य, आदमी, 10. ताकतवर, बलवान; 11 गरजना; 12. घिर रहे; 13. घने, अतिशय, गहरे; 14. बादल, मेघ; 15 नाच; 16 लगातार, अविकल; 17. बिजली; 18. पैर; 19. परेशान, व्याकुल, भय आदि से युक्त, 20. बरसात, वर्षा; 21. जमीन, पृथ्वी, धरा, प्रकृति, दक्ष की पुत्री; 22. बेहद, अत्यधिक, जो मापा न जा सके; 23. अशुभ, अमंगल, अहित, अनर्थ; 24. आग; 25 आग की लपट; 26. अटल, स्थिर; 27. पर्वत, गतिहीन; 28. धरती, पृथ्वी, 29. तेज; 30. समुद्र के जल का ऊपर उठना; 31. सागर, समुद्र; 32 बाधा, प्रतिरोध, विपरीतता, विपक्षता; 33. संसार, जगत; दुनियां; 34 सारा, सारी।