शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By WD

मुक्ति...

- दिगबर नासावा

pravasi poem | मुक्ति...
ND

स्थिर मन
एकाग्र चिंतन
शांत लहरें
शांत मंथन

आदि न मध्य
अनत छोर
आत्मा की खोज
अनवरत भोर

श्र्वास चक्र
जीवन डोर
अंतिम सफर
दक्षिण क्षोर

आत्मा की मुक्ति
निरंतर संग्राम
जीवन संध्या
अंतिम विश्राम

गर्भ से शून्य
शून्य से गर्भ
स्वयं ही बंधन
स्वयं ही मुक्त