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Written By WD

ऐलान ताकत का

- नीरज गोस्वामी

pravasi poem | ऐलान ताकत का
GN

कभी ऐलान ताकत का, हमें करना जरूरी है
समंदर ओक में अपनी, कभी भरना जरूरी है।

उठे सैलाब यादों का, अगर मन में कभी तेरे
दबाना मत कि उसका, आँख से झरना जरूरी है।

तमन्ना थी गुजर जाता, गली में यार की‍ जीवन
हमें मालूम ही कब था यहाँ मरना जरूरी है।

किसी का खौफ दिल पर, आज तक तारी न हो पाया
किया यूँ प्यार अपनों ने, लगा डरना जरूरी है।

दुखाना मत किसी का दिल, खुशी चाहो अगर पाना
जरा इस बात को बस, ध्यान में रखना जरूरी है।

कहीं है भेद 'नीरज' आपके कहने व करने में
छिपाना आँख को सबसे, कहाँ वरना जरूरी है।