उम्र यूं ही तमाम होती है
- उमेश ताम्बी
जीवन के मार्मिक दौर मेंबहुत पाया और बहुत कुछ खोयाक्या पाया? और क्या खोया?मूल्यांकन करना होगा उत्थान और स्वाभिमान के लिएसुबह का भूला यदि शाम को घर लौट जाएतो भूला नहीं कहलातायदि खबर गलत छप जाती अखबार मेंतो लिखा पाते हैं भूल सुधार के लिए!!गरिमा, वैभव, किंतु-परंतु नियम हैं।शिष्टाचार के लिएव्यर्थ है वो अर्थ जो संग्रहीत होअसमर्थन और दुष्प्रचार के लिएजनहित और देशहित हैंनिज हित और स्वार्थ के लिएनियमबद्ध और अकारथ विचार हैंप्रदर्शन मात्र के लिएसब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं हैऐसा भास होता हैमन बेचैन और दिल परेशांऐसा एहसास होता हैजब भी ये मन उदास होता हैआईना आसपास होता हैकारी रात के बाद सुनहरी भोर होगी। ऐसा आभास होता हैपच्चीस बीते और पच्चीस और बिताने हैंपचास होने के लिएमिनिट, घंटे, दिन, महीने, साल बीतेंगेउम्र गुजारने के लिएजुड़े वास्तविकता और समय सूचकता सेन केवल इतिहास के लिएक्यों न, पल दो पल मन की बात कर लेंस्मृति और अटहास के लिए?