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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 30 मार्च 2013 (18:03 IST)

हिजबुल आतंकी लियाकत 14 दिन की न्यायिक हिरासत में

हिजबुल आतंकी लियाकत 14 दिन की न्यायिक हिरासत में -
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नई दिल्ली। हिजबुल मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादी लियाकत शाह को शनिवार को यहां एक अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। दिल्ली पुलिस ने उस पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मामला दर्ज किया है। पुलिस का दावा है कि वह दिल्ली में आतंकी हमले की योजना बना रहा था।

पुलिस ने जम्मू-कश्मीर निवासी 45 वर्षीय शाह की 15 दिन की पुलिस हिरासत की अवधि पूरी होने से पहले ही उसे मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट मनोज कुमार के समक्ष पेश किया। अदालत ने उसे 12 अप्रैल तक के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया।

दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा इस संदिग्ध आतंकी से 21 मार्च से पूछताछ कर रही थी। पुलिस ने अदालत से कहा कि अभियुक्त को जेल भेज दिया जाए, क्योंकि अब हिरासत में उससे और पूछताछ की जरूरत नहीं है।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है। आरोपी को 12 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है। पुलिस ने अपनी अर्जी में कहा है कि शाह को 20 मार्च को उत्तरप्रदेश में गोरखपुर के समीप भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र से पकड़ा गया।

पूछताछ के दौरान उसने यह खुलासा कि वह प्रतिबंधित समूह हिजबुल मुजाहिदीन का प्रशिक्षित आतंकवादी है और वह पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में बस गया था।

पुलिस ने यह भी कहा कि जनवरी 2013 में शाह और उसके सहयोगी जम्मू-कश्मीर निवासी मंजूर को हिजबुल के शीर्ष पदाधिकारियों ने दिल्ली में आतंकी हमला करने का निर्देश दिया था।

दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि आरोपी के खुलासे के आधार पर राजधानी के जामा मस्जिद क्षेत्र के एक गेस्ट हाउस से हथियारों, हथगोलों एवं विस्फोटक सामग्री का जखीरा बरामद किया गया है। उसने यह भी कहा कि मंजूर सहित शाह के अन्य सहयोगी लापता हो गए।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना), 121 ए (देश के खिलाफ अपराध की साजिश रचना) और 121 (युद्ध छेड़ने की योजना को सुविधा प्रदान करने के मकसद से तथ्यों को छिपाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। शाह की गिरफ्तारी के मामले में दिल्ली तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस के परस्पर विरोधाभासी बयान भी सामने आए हैं।

दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि शाह की गिरफ्तारी के साथ ही उन्होंने होली से पहले राजधानी में फिदायीन (आत्मघाती) हमला विफल कर दिया है। उधर जम्मू-कश्मीर पुलिस इस बात पर कायम है कि शाह उन व्यक्तियों में शामिल हैं, जो 1990 के दशक में सीमा पार करके पाक अधिकृत कश्मीर चला गया था और अब वह राज्य की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने के लिए भारत लौटा था।

दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि उनके पास इस बात की सूचना थी कि कुछ अच्छी तरह से प्रशिक्षित एवं दुर्दांत आतंकवादियों ने चंद पाकिस्तानी नागरिकों के साथ तालमेल कर दिल्ली के कतिपय अज्ञात महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर आतंकी हमला करने की व्यापक योजना बनाई थी।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि यह भी जानकारी दी गई कि दो-तीन आतंकवादी जम्मू-कश्मीर से आए हैं और उन्होंने दिल्ली के जामा मस्जिद क्षेत्र में कुछ होटलों में अपना ठिकाना बनाया। हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को उत्तरप्रदेश के गोरखपुर या उत्तराखंड के टनकपुर से भारत-नेपाल सीमा के जरिए भारत में प्रवेश करना था।

पुलिस के अनुसार शाह ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी चढ़ाने का बदला लेने के लिए आतंकी हमले की योजना बनाई थी।

बहरहाल, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शाह के परिवार के दावों का समर्थन करते हुए कहा कि वह एक पूर्व आतंकवादी था जिसने नेपाल सीमा पर एसएसबी के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। वह पुनर्वास नीति के तहत पाक अधिकृत कश्मीर से लौट रहे समूह में शामिल था।

गृह मंत्रालय ने 28 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर शाह से संबंधित मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपने का निर्देश दिया था। एनआईए अब उन परिस्थितियों की जांच करेगी जिनमें शाह की गिरफ्तारी की गई थी। (भाषा)