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Written By भाषा
Last Updated :नई दिल्ली (भाषा) , बुधवार, 9 जुलाई 2014 (19:56 IST)

सीमेंट, इस्पात उद्‍योग पर बरसे चिदंबरम

सीमेंट, इस्पात उद्‍योग पर बरसे चिदंबरम -
सीमेंट एवं इस्पात उद्योग पर ग्राहकों का उत्पीड़न करने के लिए गुटबंदी करने का आरोप मढ़ते हुए वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने आज आगाह किया कि आवश्यक वस्तुओं की बढ़ रही कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएँगे।

चिदंबरम ने लोकसभा में महँगाई पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए कहा उनके (इस्पात और सीमेंट निर्माताओं के) के बर्ताव में परिवर्तन नहीं आया है। सरकार कड़े कदम उठाने से हिचकिचाएगी नहीं।

वित्तमंत्री ने स्वीकार किया कि सीमेंट एवं इस्पात निर्माता कार्टेल की तरह बर्ताव कर रहे हैं और हमें इसे तोड़ना होगा।
उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार मूल्य नियंत्रण के लिए राजस्व की कुर्बानी देने से भी नहीं हिचकिचाएगी।

विपक्ष और वामदलों के वाकआउट के बीच चिदंबरम ने कहा कि मुद्रास्फीति की दर गेहूँ, खाद्‍य तेल, धातु जैसे उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय दाम बढ़ने के कारण बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में कई राजकोषीय उपाय किए हैं और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई उत्पादों के सीमा शुल्क में कटौती की है, लेकिन राज्यों को जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेजी से होनी चाहिए।

चिदंबरम ने संकेत किया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों द्वारा केन्द्रीय बैंक को जमा की जाने वाली अनिवार्य राशि बढ़ा दी है। गवर्नर वाईवी रेडडी हालात का आकलन करने के बाद उचित मौद्रिक उपाय करेंगे।

सदस्यों ने वित्तमंत्री के इस बयान पर कहा कि वह राज्य सरकारों पर जिम्मेदारी थोपने की कोशिश कर रहे हैं। चिदंबरम ने कहा कि आवश्यक सेवाएँ एवं रखरखाव कानून (एस्मा) के तहत कार्रवाई करने का अधिकार राज्यों का है। यदि मेरे पास अधिकार हो तो मैं कल ही कार्रवाई कर दूँगा।

वित्तमंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए अर्थव्यवस्था से अतिरिक्त धन को सोखने जैसे उपाय और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तेज विकास दर एक साथ होना संभव नहीं है।

राज्यसभा में चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए चिदंबरम ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए अर्थव्यवस्था से अतिरिक्त धन को सोखने जैसे उपाय और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तेज विकास दर ये दोनों बातें एक साथ संभव नहीं हैं।

वित्तमंत्री ने यह टिप्पणी उस समय की जब भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस के पीजे कुरियन के इस कथन का प्रतिवाद किया कि मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने से विकास प्रभावित होगा।

कुरियन यह कहते हुए महँगाई के मुद्दे पर सरकार का बचाव कर रहे थे कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने नगद आरक्षित अनुपात को आठ बार संशोधित किया।

भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने उच्च सदन में कहा कि सरकार का कहना है कि मुद्रास्फीति को रोकने के लिए उसके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है पर जब जनता की छड़ी उसे लगेगी तो वह काफी खतरनाक होगी।

सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों पर कटाक्ष करते हुए जोशी ने कहा कि वे पाला बदलकर विपक्ष की ओर आएँ और सरकार को गिरा दें। वामदलों को आड़े हाथों लेते हुए जोशी ने कहा कि वामदलों को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे वास्तव में सरकार के साथ हैं या नहीं।

भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस और मुद्रास्फीति एक ही सिक्के के दो पहलू बन गए हैं। जब भी कांग्रेस सत्ता में रही है कीमतें आसमान छूने लगती हैं।