बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. राष्ट्रीय
Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 27 अप्रैल 2010 (22:38 IST)

सीबीआई बनी राजनीतिक हथियार-भाजपा

सीबीआई बनी राजनीतिक हथियार-भाजपा -
भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस नीत संप्रग ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए सीबीआई का एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है और लोकसभा में कटौती प्रस्ताव में सरकार का साथ देने के उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के बयान से कांग्रेस और बसपा के बीच की ‘शैडो बॉक्सिंग’ उजागर होती है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में आरोपी कांग्रेस नेताओं को बचाने से लेकर मायावती के खिलाफ दर्ज मामले में नरमी लाने तक कांग्रेस ने सीबीआई का दुरुपयोग किया है।

उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्ष में कांग्रेस और संप्रग द्वारा राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल के चलते सीबीआई अपनी विश्वसनीयता और निष्पक्षता खो चुकी है।

जेटली ने कहा कि सरकार ने सीबीआई का तीन तरह से दुरुपयोग किया है। पहला कांग्रेस-संप्रग के नेताओं को बचाने और उनके खिलाफ मामलों को खत्म करने, दूसरा बसपा, सपा और राजद जैसे गैर कांग्रेसी दलों के नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों में तलवार लटकाए रखने और तीसरा हमेशा विरोध में रहने वाले नेताओं को निशाना बनाने में यह दुरुपयोग किया है।

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने जिस तरह बोफोर्स मामले को खत्म किया, राजद नेता लालू प्रसाद के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले को कमजोर किया, अजीत जोगी के खिलाफ विधायकों की खरीद के मामले को खत्म किया और पेट्रोप पंप आवंटन मामले में सतीश शर्मा के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति नहीं दी, इन सबसे जाहिर होता है कि सीबीआई अपनी स्वायत्ता खो चुकी है।

जेटली ने कहा कि जरूरत पड़ने पर भाजपा सीबीआई के दुरुपयोग के मुद्दे को संसद में भी उचित तरीके से उठाएगी। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की उस दिन कार सेवकों से की गई अपील की सीबीआई ने गलत व्याख्या की। आडवाणी ने कार सेवकों से ढाँचे से नीचे उतरने की अपील की थी कि लेकिन सीबीआई कह रही है कि उन्होंने ऐसा इसलिये कहा ताकि कार सेवकों को चोट न लगे।

बसपा का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि जब 2004 में कांग्रेस को मायावती नीत पार्टी के सांसदों की जरूरत थी तो ताज कोरिडोर मामले को कमजोर कर दिया गया। उसके बाद 2008 में विश्वास मत के दौरान जब मायावती संप्रग के विरोध में नजर आ रहीं थीं तो उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जाँच एजेंसी सक्रिय हो गई।

जेटली ने कहा कि और अब जब लोकसभा में कटौती प्रस्ताव के लिए फिर बसपा की जरूरत पड़ी है तो उनके खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले को फिर कमजोर किया गया है।

उन्होंने कहा कि बसपा और कांग्रेस यह दर्शाते हैं कि उत्तरप्रदेश में वे एक-दूसरे के चिर प्रतिद्वंद्वी हैं, जबकि केंद्र में बसपा कांग्रेस का साथ देती है। इससे उत्तरप्रदेश में दोनों दलों के बीच की ‘शैडो बॉक्सिंग’ उजागर होती है। उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव पर भी सरकार को समर्थन करने अथवा नहीं करने के आधार पर हलफनामे बदले गए। (भाषा)