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Written By भाषा

सहमति से सेक्स के लिए उम्र 16 साल

सहमति से सेक्स के लिए उम्र 16 साल -
नई दिल्ली।
FILE
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मद्देनजर बुधवार को मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने एंटी रेप बिल पर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है। इसके साथ ही सहमति से सेक्स के लिए उम्र की सीमा 18 से घटाकर 16 वर्ष करने को भी अपनी हरी झंडी दे दी है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार समूह ने अपनी रिपोर्ट कैबिनेट को सौंप दी है, जिस पर गुरुवार को चर्चा होने की संभावना है। खबर यह भी है कि अब महिला अपराधों को लेकर कानून काफी कड़े किए जा सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि बदनीयती से लगातार घूरने, गलत ढंग से छूने, इशारा करने या टिप्पणी करने को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखने की अनुशंसा की गई है। मंत्री समूह ने विधेयक में ‘बलात्कार’ शब्द को बरकरार रखने का निर्णय किया और इसे लैंगिकता से परे रखने के बजाए लैंगिक विशेष माना।

सूत्रों ने कहा कि मसौदा विधेयक से गलत शिकायत करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग को हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि मंत्री समूह के बीच इस बात को लेकर सर्वसम्मति थी कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए वर्तमान कानून पर्याप्त हैं और यह सिर्फ उन्हें लागू करने की बात है।

विधेयक आपराधिक कानून अध्यादेश का स्थान लेगा, जिसे 16 दिसम्बर को दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार के परिप्रेक्ष्य में लोगों के गुस्से को देखते हुए तीन फरवरी को लाया गया था।

संसद के 22 मार्च से अवकाश से पहले इस अध्यादेश को मंजूरी देनी होगी और ऐसा नहीं होने पर चार अप्रैल को यह अध्यादेश खत्म हो जाएगा। सूत्रों ने कहा कि मंत्री समूह ‘बलात्कार’ शब्द की जगह ‘यौन हमला’ करने के पक्ष में नहीं था जैसा कि विधेयक में प्रस्तावित किया गया था।

उन्होंने कहा कि इसने बलात्कार को लैंगिक विशेष बनाने का निर्णय किया, जिसका अर्थ है कि यह केवल किसी महिला के खिलाफ हो सकता है। कुकर्म जैसे अपराधों को यौन अपराध अधिनियम के तहत बच्चों की सुरक्षा कानून से निपटा जाएगा। विस्तृत जानकारी देने से इनकार करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, ‘विचारों में अंतर नहीं है।’

केंद्रीय कैबिनेट की कल बैठक में इसके प्रावधानों पर मंत्रियों के बीच मतभेद के चलते मंत्री समूह का गठन किया गया था। बहरहाल मामले की तात्कालिकता को देखते हुए मंत्री समूह से कहा गया कि आज रात वह अपनी रिपोर्ट सौंप दे ताकि कैबिनेट के समक्ष कल विधेयक को लाया जा सके।

पीछा करने और बदनीयती से घूरने के मुद्दे पर कुछ मंत्रियों का मानना था कि प्रावधानों का ‘दुरुपयोग हो सकता है’ और पर्याप्त बचाव के उपाय करने के बाद ही इसे शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें गलत मामले दर्ज करने के लिए कड़ा दंड भी शामिल है।

अध्यादेश में पहली बार पीछा करने और बदनीयती से घूरने को आपराधिक कृत्य माना गया। समाजवादी पार्टी जैसे कुछ दलों को अध्यादेश के कुछ प्रावधानों पर गंभीर आपत्ति है और इनका दावा है कि इनका गलत इस्तेमाल हो सकता है। (भाषा/वेबदुनिया)