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Written By भाषा

सशस्त्र सेनाओं को नए साल का तोहफा

अलग वेतन आयोग बनाएगी सरकार

सशस्त्र सेनाओं को नए साल का तोहफा -
सशस्त्र सेनाओं को नए साल का तोहफा देते हुए सरकार ने रक्षाकर्मियों के लिए पृथक वेतन आयोग के गठन के साथ ही लगभग 12 हजार लेफ्टिनेंट कर्नलों, नौसेना और वायुसेना में उनके समकक्षों को ऊँचे वेतनमान देने का फैसला किया है।

सरकार सेवानिवृत्त जवानों को 70 प्रतिशत पेंशन लाभ बहाल करने पर भी सहमत हो गई है, लेकिन लेफ्टिनेंट जनरलों को उच्चतर प्रशासनिक ग्रेड और वेतनमान देने तथा कैप्टन से ब्रिगेडियर तक के अधिकारियों को उनके असैन्य समकक्ष अधिकारियों के बराबर ग्रेड देने के बारे में उसने चुप्पी साध रखी है।

रक्षा मंत्रालय को भेजे एक पत्र में प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि प्रस्तावित सशस्त्र सेना वेतन अयोग को असैन्य केन्द्रीय वेतन आयोग से असंबद्ध किया जाएगा। अब तक सेना के वेतनमान केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही तय होते आए हैं।

सरकार ने सेना के लगभग 12 हजार लेफ्टिनेंट कर्नलों और नौसेना एवं वायुसेना में उनके समकक्षों को छठे वेतन आयोग के तहत 'पे बैंड 4' में रखने का भी फैसला किया है। सरकार असैन्यकर्मियों और अर्द्धसैनिक बलों के लिए सातवें वेतन आयोग के गठन के समय ही सशस्त्र बल वेतन आयोग का गठन करेगी।

विदेशमंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली मंत्रीस्तरीय समिति की सिफारिशों पर विचार करने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा 8000 रुपए के ग्रेड वेतन के साथ पे बैंड 4 का दर्जा उन लेफ्टिनेंट कर्नल को दिया जाएगा, जिन्होंने युद्धक कार्रवाई में हिस्सा लिया है या फिर ऐसी कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं।

अन्य सेवाओं के लेफ्टिनेंट कर्नलों को पे बैंड 4 के तहत वेतनमान तभी मिलेगा, जब वे अपनी मूल सेवा में वापस लौट आते हैं। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने तक रिटायर्ड सैन्यकर्मियों को 70 प्रतिशत का लाभ मिलता रहेगा।

लेफ्टिनेंट जनरलों को उच्चतर प्रशासनिक ग्रेड एवं वेतनमान देने तथा कैप्टन से बिग्रेडियर रैंक तक के अधिकारियों को उनके असैन्य समकक्ष अधिकारियों के अनुरूप वेतनमान देने की माँग पर सरकार ने चुप्पी साध रखी है।

उसने हालाँकि रक्षाकर्मियों की माँग पर तय किया है कि एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा, जो सशस्त्र सेनाओं के कमान एवं नियंत्रण के कामकाज तथा ओहदे तथा उनके असैन्य समकक्ष अधिकारियों एवं अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों के कामकाज एवं ओहदे की समीक्षा करेगी।

नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता ने लगातार कहा है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बारे में अगस्त के कैबिनेट के फैसले के बाद रक्षाकर्मियों की ओर से उठाई गई चार अनियमितताओं की शिकायत धन से जुड़ी नहीं हैं, बल्कि ओहदे, कमान एवं नियंत्रण से जुड़ी है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने हालाँकि कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय का यह पत्र कोई अंतिम फैसला नहीं है, बल्कि इसके कार्यान्वयन की रूपरेखा तीनों सेनाओं के मुख्यालय से सलाह-मशविरा कर तैयार की जाएगी।

कैबिनेट ने पिछले साल सितंबर में जब छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया था, तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने सैन्यकर्मियों की ओर से उठाई गई समानता की माँग पर राजनीतिक फैसले की माँग की थी। एक समय तो तीनों सेनाओं के मुख्यालय ने अप्रत्याशित रूप से कैबिनेट के फैसले को लागू करने से इनकार कर दिया था।

उसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में समिति बनाई, जिसमें रक्षा मंत्री एके एंटनी और गृह मंत्री पी. चिदंबरम भी शामिल थे। समिति ने दिसंबर 2008 के मध्य में प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।