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Written By भाषा
Last Modified: लखनऊ , सोमवार, 30 सितम्बर 2013 (17:21 IST)

'सरकारी अल्पसंख्यक आतंकवाद' फैला रही है उप्र सरकार

''सरकारी अल्पसंख्यक आतंकवाद'' फैला रही है उप्र सरकार -
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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार पर सूबे में ‘सरकारी अल्पसंख्यक आतंकवाद’ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार अपनी हरकतों से बेनकाब हो गई है

भाजपा की उत्तरप्रदेश इकाई के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने यहां कहा कि राज्य की सपा सरकार जहां ‘सद्भावना सप्ताह’ मना रही है, वहीं वह दंगे के आरोपियों को राज्य अतिथि बनाकर और निर्दोष लोगों को फंसाकर सद्भाव को खत्म भी कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के बाद ‘डैमेज कंट्रोल’ के तहत उस मौलाना नजीर के नेतृत्व में उलेमा का प्रतिनिधिमंडल बुलाया जिसके खिलाफ मुजफ्फरनगर के जानसठ थाने में दंगा कराने समेत कई आरोपों में मुकदमा दर्ज है। नजीर को राज्य अतिथि का दर्जा तक दे दिया गया।

बाजपेयी ने कहा कि ऐसी ही धाराएं मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में अभियुक्त बनाए गए भाजपा विधायकों पर भी लगी हैं तो उन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया और नजीर जैसे लोगों को राज्य अतिथि क्यों बनाया गया। पार्टी की मांग है कि सरकार इस पर 24 घंटे के अंदर जवाब दे।

उन्होंने सरकार पर ‘सरकारी अल्पसंख्यक आतंकवाद’ फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश में एक वर्ग विशेष के अधिकारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है।

बाजपेयी ने एक समाचार चैनल द्वारा मुजफ्फरनगर दंगों के सिलसिले में किए गए स्टिंग ऑपरेशन को गलत बताने वाली जांच रिपोर्ट को भारतीय प्रेस परिषद के पास नहीं भेजे जाने पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि इन सबसे सरकार बेनकाब हो गई है।

उन्होंने कहा कि सरकार जहां भाजपा विधायकों तथा बहुसंख्यक तबके के लोगों को फंसा रही है, वहीं मुजफ्फरनगर दंगों की जड़ बने कवाल कांड में मारे गए सचिन तथा गौरव नामक युवकों के हत्यारों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया।

भाजपा नेता ने मांग की कि मुजफ्फरनगर दंगों की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल या सीबीआई से जांच कराई जाए और जो भी दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई हो।

दंगों के मामले में गिरफ्तार और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत निरुद्ध भाजपा विधायक संगीत सोम के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने की मांग के समर्थन में रविवार को मेरठ के खेड़ा गांव में आयोजित महापंचायत के बारे में बाजपेयी ने कहा कि आयोजकों ने महापंचायत स्थगित करने का निर्णय लेकर उस पर अमल न करके गलती की, वहीं स्थानीय प्रशासन ने भी आयोजन को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार लखनऊ तथा जिलों में सभी दलों की बैठक बुलाकर उपाय करती तो टकराव को रोका जा सकता था।

बाजपेयी ने दागी सांसदों को बचाने संबंधी अध्यादेश को फाड़कर फेंक देने के कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बयान संबंधी सवाल पर कहा कि प्रधानमंत्री या तो इस्तीफा दे दें या फिर राहुल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करें।

उन्होंने कहा कि राहुल ने अपनी ही सरकार द्वारा पारित अध्यादेश की सरेआम आलोचना करके अलोकतांत्रिक और अनुशासनहीनतापूर्ण कार्य किया है। (भाषा)