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Written By भाषा

सज्जन कुमार को बरी किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया

सज्जन कुमार को बरी किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया -
PTI
नई दिल्ली। साल 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किए जाने के अदालती फैसले पर पीड़ितों के परिजन और राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे काला दिन करार दिया।

करीब 29 साल पहले 31 अक्‍टूबर 1984 को शुरू हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान अपने पति, पुत्र और परिवार के अन्य सदस्यों को खो चुकी एक महिला ने कहा, हमारे लिए कोई न्याय नहीं है।

उन्होंने कहा, मेरा बेटा मारा गया। अपने भाइयों के साथ मेरे पति मारे गए। दंगों के दौरान तीन दिन तक दहशत का आलम था। लोगों को जिंदा जला दिया गया। सज्जन कुमार को बरी किए जाने पर घोर आश्चर्य और रोष व्यक्त करते हुए शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने यह कहते हुए कांग्रेस पर हमला बोला कि इस मामले को दबने नहीं दिया जाएगा।

सुखबीर बादल ने कहा कि इस फैसले ने उन लोगों की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया है जिन्होंने तकरीबन तीन दशक तक न्याय के लिए इंतजार किया। बादल ने उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय 3000 सिख पीड़ितों के कष्ट का संज्ञान लेगा और जिस तरह से जगदीश टाइटलर के मामले में किया गया उसी तरह इस मामले में भी फिर से जांच के आदेश दिए जाएंगे।

सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि जांच अधिकारियों की ओर से की गई दोषपूर्ण जांच की वजह से यह मामला अपने तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाया। गुजराल ने कहा, हम फैसले से निश्चित तौर पर घोर आश्चर्य में हैं और निराश हैं। हम उम्मीद करते हैं कि 1984 के जनसंहार के पीड़ितों को अंतत: न्याय मिलेगा लेकिन दुर्भाग्यवश दोषपूर्ण पुलिस जांच के कारण यह मामला अपने तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सका।

शिरोमणि अकाली दल के सांसद गुजराल ने यह भी कहा, कांग्रेस पार्टी 1984 से ही इस मामले को दबाने में लगी हुई है इसलिए हमें बिलकुल भी हैरत नहीं हो रही। उन्होंने कहा, 30 साल गुजर चुके हैं। न्याय मिलने तक हम लड़ाई जारी रखेंगे। हम हार नहीं मानेंगे।

अदालत ने साल 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली छावनी के राजनगर इलाके में पांच सिखों को मौत के घाट उतार देने वाली भीड़ का हिस्सा होने के आरोप में पांच लोगों को दोषी करार दिया, जबकि सज्जन कुमार को बरी कर दिया।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेआर आर्यन ने सज्जन कुमार को बरी किया जबकि पांच अन्य बलवान खोक्कर, महेंद्र यादव, किशन खोक्कर, गिरधारीलाल और कैप्टन भागमल को दोषी करार दिया।

अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री के सलाहकार महेंद्र सिंह ने कहा कि इस मामले में पीड़ित न्याय पाने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा, आज एक काला दिन है। हमें कांग्रेस से न्याय की कोई उम्मीद नहीं थी पर न्यायिक व्यवस्था से उम्मीद थी लेकिन आज वह भी धूमिल पड़ गई।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले को भारतीय न्याय व्यवस्था के गाल पर तमाचा करार दिया और आरोप लगाया कि जांच एजेंसी दोषियों के साथ मिल गई, ताकि वे छूट जाएं।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मंजीतसिंह जीके ने कहा कि फैसले के बाद आज 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों के आंसू निकल आए। उन्होंने कहा, जब तक यह सरकार सत्ता में है, न्याय पालिका ऐसे फैसले करती रहेगी। आप चाहें कितने भी लोगों को मार डालें, आप खुले में घूम सकते हैं।

1984 दंगे की पीड़िता ने कहा, 'मुझे मार दो' : सज्जन कुमार को बरी किया जाना 1984 दंगा मामले की शिकायतकर्ता जगदीश कौर के लिए एक बहुत बड़े झटके के रूप में सामने आया जिन्होंने उस हिंसा में अपना पति, युवा पुत्र और तीन रिश्तेदार गंवा दिए।

कौर ने कहा कि कुमार द्वारा सभी अत्याचार किए जाने के बावजूद अदालत ने उन्हें बरी कर दिया और 29 वर्ष की सुनवाई के बाद उन्हें न्याय नहीं मिला। कौर के राजनगर स्थित घर में एक भीड़ घुसी थी जिसने उनके पति केहर सिंह और पुत्र गुरप्रीत को जिंदा जला दिया था।

उन्होंने कहा, मैंने इस घाव को पिछले 29 वर्षों से झेला है और अब मेरी सभी उम्मीदें टूट चुकी हैं, उन्होंने आरोप लगाया, कुमार ने मेरे पूरे परिवार और अन्य की हत्या कर दी और अब उन्हें बरी कर दिया गया है, इसलिए मुझे भी मार दो।

अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद कौर, उसके पुत्र गुरदीप और कुछ अन्य ने अदालत कक्ष से यह कहते हुए बाहर जाने से इनकार कर दिया कि न्याय मिलने तक वे वहां से नहीं जाएंगी। (भाषा)